जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर कोयले कि कमी के चलते बिजली का संकट (Power problem in Rajasthan may occured) मंडरा सकता है. राजस्थान को अब तक छत्तीसगढ़ सरकार से फेस 2 के लिए आवंटित खदान से कोयले खनन की मंजूरी नहीं (Approval not received from Chhattisgarh government) मिल पाई है, जिसके चलते प्रदेश के कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों में काम ठप पड़ सकता है. मौसम में हो रहे बदलाव के चलते यह स्थिति जल्द ही उत्पन्न हो सकती है. इस बीच भाजपा ने भी बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में घेरने की तैयारी (BJP ready to target Gehlot government) कर ली है.
मार्च के पहले सप्ताह तक का कोयला शेष, गर्मी बड़ी तो बिजली संकट तय...
दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान के पास मौजूदा खदान में मार्च के पहले सप्ताह तक का ही कोयला बचा है जो 6 से 7 लाख टन है. जबकि दूसरी फेस की खदान का आवंटन और अन्य एनओसी प्रक्रिया केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद पूरी कर दी गई. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक यहां खनन की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते कोयले का संकट गहराने लगा है.
फरवरी महीने का अंतिम समय चल रहा है और माना जा रहा है मार्च के पहले पखवाड़े से राजस्थान में गर्मी का सितम दिखने लगेगा, जिसके चलते बिजली की मांग और खपत बढ़ना तय है. राजस्थान में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर है, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से वर्तमान में कोयला पहुंच रहा है.
थर्मल आधारित कुछ इकाइयां मेंटेनेंस के नाम पर बंद
थर्मल आधारित बिजली उत्पादन की कुछ इकाइयां राजस्थान में बंद की गई है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं ये इकाइयों को मेंटेनेंस के नाम पर बंद किया गया है, लेकिन आने वाली गर्मियों में इन इकाइयों से उत्पादन किया जाना बेहद जरूरी है, वरना महंगे दामों पर बाहर से बिजली खरीदनी पड़ेगी. मतलब साफ है कि इस माह के अंत तक यदि छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं मिली तो प्रदेश में कोयले की कमी से बिजली का संकट गहराना शुरू हो जाएगा जिसका असर मार्च के शुरुआती सप्ताह से ही दिखने लगेगा.