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छत्तीसगढ़ सरकार से अब तक नहीं मिली मंजूरी, कोयला संकट का दिख सकता है असर...सरकार को घेरने की तैयारी में भाजपा

राजस्थान में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट का सामना (Power problem in Rajasthan may occured) करना पड़ सकता है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अभी तक फेस 2 के लिए आवंटित कोयला खदान से खनन की मंजूरी नहीं (Approval not received from Chhattisgarh government) मिल पाई है.

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राजस्थान में बिजली संकट का खतरा

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Published : Feb 21, 2022, 7:52 PM IST

Updated : Feb 21, 2022, 8:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक बार फिर कोयले कि कमी के चलते बिजली का संकट (Power problem in Rajasthan may occured) मंडरा सकता है. राजस्थान को अब तक छत्तीसगढ़ सरकार से फेस 2 के लिए आवंटित खदान से कोयले खनन की मंजूरी नहीं (Approval not received from Chhattisgarh government) मिल पाई है, जिसके चलते प्रदेश के कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों में काम ठप पड़ सकता है. मौसम में हो रहे बदलाव के चलते यह स्थिति जल्द ही उत्पन्न हो सकती है. इस बीच भाजपा ने भी बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में घेरने की तैयारी (BJP ready to target Gehlot government) कर ली है.

मार्च के पहले सप्ताह तक का कोयला शेष, गर्मी बड़ी तो बिजली संकट तय...
दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान के पास मौजूदा खदान में मार्च के पहले सप्ताह तक का ही कोयला बचा है जो 6 से 7 लाख टन है. जबकि दूसरी फेस की खदान का आवंटन और अन्य एनओसी प्रक्रिया केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद पूरी कर दी गई. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक यहां खनन की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते कोयले का संकट गहराने लगा है.

राजस्थान में बिजली संकट का खतरा

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फरवरी महीने का अंतिम समय चल रहा है और माना जा रहा है मार्च के पहले पखवाड़े से राजस्थान में गर्मी का सितम दिखने लगेगा, जिसके चलते बिजली की मांग और खपत बढ़ना तय है. राजस्थान में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर है, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से वर्तमान में कोयला पहुंच रहा है.

थर्मल आधारित कुछ इकाइयां मेंटेनेंस के नाम पर बंद
थर्मल आधारित बिजली उत्पादन की कुछ इकाइयां राजस्थान में बंद की गई है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं ये इकाइयों को मेंटेनेंस के नाम पर बंद किया गया है, लेकिन आने वाली गर्मियों में इन इकाइयों से उत्पादन किया जाना बेहद जरूरी है, वरना महंगे दामों पर बाहर से बिजली खरीदनी पड़ेगी. मतलब साफ है कि इस माह के अंत तक यदि छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं मिली तो प्रदेश में कोयले की कमी से बिजली का संकट गहराना शुरू हो जाएगा जिसका असर मार्च के शुरुआती सप्ताह से ही दिखने लगेगा.

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सौर ऊर्जा में नंबर वन लेकिन बिजली क संकट होता है बार-बार
सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता के लिहाज से राजस्थान देशभर में नंबर वन की स्थिति में है. बावजूद उसके प्रदेश में बिजली का संकट समय-समय पर सामने आता ही रहता है. इसमें भी कोयले की कमी के कारण संकट देखने को मिलता है. राजस्थान सरकार द्वारा सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं होने के बावजूद थर्मल आधारित इकाइयों के जरिए ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और जब कोयले की कमी हो जाए तो इसका असर भी दिखने लगता है.

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विपक्ष के नेता भी सरकार से इस कमी में सुधार की मांग करते हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यदि सरकार को कष्ट करें तो बिजली का संकट तो खत्म होगा ही कोयले पर निर्भरता भी घटना की जा सकती है.

बिजली के मुद्दे पर सदन में सरकार को घेरने को तैयार है भाजपा
कोयले की कमी को प्रदेश पर आने वाले संभावित बिजली संकट का मामला राजस्थान विधानसभा में भी गूंजेगा विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने इसकी तैयारी कर ली है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली का संकट खड़ा होता है, जबकि राजस्थान में और छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस की सरकार है. बावजूद इसके, छत्तीसगढ़ की सरकार राजस्थान की मदद नहीं कर रही.

उन्होंने कहा कि जितनी बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा और फोन पर बात की है. यदी इंद्र देव से भी कोई इतनी प्रार्थना कर लेता तो वो भी बरसात कर देते. लेकिन इनकी ही पार्टी की सरकार में राजस्थान की सुनवाई नहीं हो रही.

Last Updated : Feb 21, 2022, 8:45 PM IST

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