जयपुर: काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath Temple) द्वादश ज्योतिर्लिंग में से प्रधान शिवलिंग माना जाता है. आमेर राजघराने के राजा मानसिंह (Raja Mansingh Of Amer) का भी इस मंदिर के इतिहास में नाम जुड़ा है. मानसिंह मुग़ल सम्राट अकबर के सेनापति और उनके नवरत्नों में से एक थे. उन्होंने बनारस में डेरा डाल कर राजस्थान के कारीगरों की पूरी फ़ौज काशी के नवनिर्माण में लगाई थी.
'मानसिंह ने दी थी जमीन'
इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार मानसिंह बनारस के सूबेदार थे. यहां काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण (Renovation Of Kashi Vishwanath) होना था. मानसिंह ने यहां मंदिर के लिए जमीन दी और उसके बाद साथी राजा टोडर मल के साथ अकबर की ओर से की गई वित्तीय सहायता से एक बार फिर इस मंदिर का निर्माण करवाया. यही नहीं मानसिंह ने मानमंदिर घाट का निर्माण यात्रियों के ठहरने के लिए कराया. आज भी इसे लोग जयपुर राजा का मंदिर कहते हैं.
राजा मानसिंह का बनारस से रहा अटूट रिश्ता पढ़ें-जयपुर में किंग एडवर्ड मेमोरियल : इतिहास के पन्नों में दर्ज यादगार को यूनेस्को के डर से दिया जा रहा मूल स्वरूप...
पढ़ें- सांभर लेक सॉल्ट ट्रेन : 145 साल पुरानी है नमक रेल, यात्री या सामान नहीं, सिर्फ नमक ढोती है..फिल्म पीके में भी आई नजर
बनवाए थे 1 हजार मंदिर और घाट
इतिहासकार मानते हैं कि अकबर के इस सेनापति ने बनारस में एक हजार से ज्यादा मंदिर और घाट बनवाये (Raja Mansingh Kashi Connection). मानसिंह के बनवाये घाटों में सबसे प्रसिद्द मानमंदिर घाट है. जो आज भी मौजूद है. राजा मानसिंह के बाद जयसिंह प्रथम ने इसी काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, वहां गौशाला बनवाई. उन्हीं के वंश के सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1737 में एक वेदशाला स्थापित की. इसमें कई किस्म के यंत्र हैं, जिनसे समय गणना, मौसम की जानकारी और लग्न साधने का काम किया जाता था.
हालांकि सवाई जय सिंह के बाद बनारस के मंदिरों का कोई धनी-धोरी नहीं रहा. नतीजन इन मंदिरों को तोड़ा जाने लगा. उन्होंने इतिहासकार मोतीचंद की ओर से लिखित पुस्तक का रेफरेंस देते हुए बताया कि अहिल्याबाई होलकर ने इस प्राचीन स्थान के 30 से 35 फीसदी हिस्से में काशी विश्वनाथ का पुनर्निर्माण कराया.
देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि हिंदू संस्कृति के द्योतक मंदिर, गौशाला, घाट बनाने में आमेर रियासत अग्रणी रही. राजा मानसिंह (Raja Mansingh Kashi Connection) और राजा जयसिंह ने सुबेदारी में मिली अपनी शक्तियों का भरपूर प्रयोग करते हुए तीर्थ स्थानों और मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया.
काशी ने आखिर क्यों बिसरा दिया?
जिस राजघराने और राजा ने काशी के पुनरुत्थान के लिए इतना प्रयास किया. बार-बार आतताईयों के शिकार हुए बनारस को रोशन कर दिया उस घराने, उस राजा के नाम को दरकिनार कर (PM Forgets To Take Raja Mansingh Name) काशी को जार जार करने वाले शख्स का जिस तरह से पीएम ने जिक्र किया उसके बाद लोगों के दिलों दिमाग में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मानसिंह को क्यों बिसरा दिया गया?