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कृषि संशोधन बिलों की राजभवन से अनुमति मिलने की न के बराबर संभावना: पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा - पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा

किसान आंदोलन के बीच 2 नवम्बर को राजस्थान विधानसभा से केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में पास किए गए तीन संशोधन बिलों को राज्यपाल की अनुमति नहीं मिलने के चलते अब सत्ताधारी दल कांग्रेस आस छोड़ चुकी है. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवैधानिक संस्थाओं को काम नहीं करने दे रहे हैं. ऐसे में उन्हें केवल एक प्रतिशत ही उम्मीद है कि इन बिलों को राजभवन से अनुमति मिल पाएगी.

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पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि कृषि संशोधन बिलों की राजभवन से अनुमति मिलने की न के बराबर संभावना

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Published : Dec 12, 2020, 11:03 PM IST

जयपुर.केंद्र सरकार के तीनों कृषि बिलों को वापस लेने के लिए किसानों ने जबरदस्त आंदोलन आंदोलन चला रखा है. वहीं राजस्थान के अलग-अलग संगठनों के किसान अब आंदोलन में शामिल हो रहे हैं. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने न केवल इन तीनों बिलों का विरोध किया है, बल्कि इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान विधानसभा में तीन संशोधन बिल भी लाए हैं. 2 नवंबर को राजस्थान विधानसभा में पास हुए इन बिलों को डेढ़ महीना पूरा होने के बाद भी राजभवन से उन बिलों को हरी झंडी नहीं मिली है.

पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि कृषि संशोधन बिलों की राजभवन से अनुमति मिलने की न के बराबर संभावना

विधानसभा में इन बिलों को लाने वाली कांग्रेस अब यह मान चुकी है कि यह बिल राजभवन में अटक गए हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इन बिलों की राजभवन में रुके होने पर कहा कि बिल के पास होने की गुंजाइश बहुत कम है. उन्होंने कहा कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वह किसी भी संवैधानिक संस्था को काम नहीं करने दे रहे हैं. इसलिए कांग्रेस पार्टी को एक प्रतिशत से ज्यादा उम्मीद नहीं है कि यह बिल राजभवन से पास होंगे.

डोटासरा ने कहा कि अब तो भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को प्रभावित करती है. ऐसे में हमें भाजपा पर कोई भरोसा नहीं है. जैसा कि पहले से ही कहा जा रहा था कि यह बिल विधानसभा से तो पास हो जाएंगे, लेकिन राजभवन से इन्हें आसानी से हरी झंडी नहीं मिलेगी. इन बिलों को राज्यपाल ही राष्ट्रपति के पास भेजेंगे और राष्ट्रपति की अनुमति के बाद ही इन बिलों पर अंतिम मुहर लग सकती है. लेकिन यह बिल अभी राजभवन ही लंबित हैं.

ये हैं तीन बिल

कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

यदि कोई व्यक्ति, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस या कोई अन्य व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या न हो, अगर किसान के उत्पीड़न में शामिल होता है, तो उसे 3 साल से 7 साल तक की सजा और कम से कम 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान या दोनों होगा. ऐसे में कोई व्यक्ति, फर्म या कंपनी, किसी किसान या कृषि उपज के संबंध किसी व्यक्ति को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम की कीमत पर उसके कब्जे में की कृषि उपज का संविदा के अधीन विक्रय करने के लिए व्यवस्था करता है या दबाव डालता है ओर तैयार उपज की सूचना दिए जाने की तारीख से 1 सप्ताह के भीतर किसी कृषि करार के अधीन उपज को स्वीकार करने या माल परिधान लेने से इनकार करता है, तो उस पर सजा का प्रावधान किया गया है.

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरणल) राजस्थान संशोधन विधेयक 2020

इस प्रावधान के तहत अगर कोई किसान का उत्पीड़न करता है, जहां व्यापारी करार की गए कृषि उत्पाद के परिधान को स्वीकार नहीं करता है या परिणाम को स्वीकार कर लेने के बाद कृषक को करार के अनुसार या माल के परिधान की प्राप्ति की तारीख के 3 दिन के भीतर पेमेंट नहीं करता है, तो उसके खिलाफ 3 साल की सजा और कम से कम पांच लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान रखा गया है.

आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि विशेष परिस्थितियों में वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है, जबकि केंद्रीय कानून में स्टॉक लिमिट का कोई प्रावधान नहीं था.

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राजस्थान सरकार ने यह तीनों संशोधन बिल विधानसभा से पास करवाकर राजभवन भेज दिए हैं. वैसे तो इन्हें राजभवन से ही इन संशोधन बिलों को क्लीयरेंस मिलना मुश्किल है, लेकिन अगर कहीं राजभवन से इन बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज भी दिया जाता है, तो राष्ट्रपति भवन से भी इन संशोधनों को मंजूरी मिलना मुश्किल होगा क्योंकि जिन केंद्रीय कानूनों के यह संशोधन है. वह केंद्रीय कानून हाल ही में राष्ट्रपति की मोहर से ही देश में कानून बने हैं. ऐसे में राष्ट्रपति अपने ही पास किए गए कानून के खिलाफ लाए गए संशोधन को इजाजत देंगे. इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है.

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