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विधायकों को नोटिस पर उपनेता प्रतिपक्ष ने दिया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव, सीपी जोशी ने बताया सदन की कार्यवाही से दूर रखने का प्रयास - सदन में विशेषाधिकार हनन

विधानसभा सत्र के दौरान सोमवार को सदन की कार्यवाही के बीच उपनेता प्रतिपक्ष ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया. जिसे आरएलपी विधायक पुखराज गर्ग और इंदिरा देवी को पुलिस की ओर से चलते सत्र के बीच में नोटिस देने के खिलाफ लाया गया. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने विशेषाधिकार हनन का मामला पेंडिंग रखा.

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सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला

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Published : Mar 2, 2020, 6:32 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोवार को पेयजल सिंचाई और लघु सिंचाई की अनुदान मांगों पर बहस चल रही थी. इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सदन में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर दिया. जो आरएलपी के विधायक इंदिरा देवी और पुखराज गर्ग को पुलिस पूछताछ के लिए 2 मार्च को नागौर में पेश होने का नोटिस देने के मामले में है. राठौर ने नियमों के मुताबिक 10 विधायकों के हस्ताक्षर करवाकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया.

सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला

राठौर ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की इजाजत मांगते हुए कहा कि बंजारों के मकान तोड़ने के मामले में हुए आंदोलन में पूछताछ के लिए रालोपा विधायक पुखराज गर्ग और इंदिरा बावरी को पुलिस ने पूछताछ कर नोटिस भेजा. राठौर ने कहा कि जब सदन चल रहा है तो ऐसे में पुलिस विधायक से पूछताछ करने के लिए कैसे बुला सकती है? राठौड़ ने कहा कि दोनों विधायकों के घर नोटिस चस्पा किए गए हैं, जो सीधे तौर पर एक विधायक का विशेषाधिकार हनन का मामला है. नियमों में छूट देते हुए इस मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला माना जाए.

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इसपर सदन के स्पीकर सीपी जोशी ने मामले में दोनों रालोपा विधायकों जिनको नोटिस मिला है, उन्हें बोलने की इजाजत दी. इस दौरान इंदिरा बावरी ने सदन में कहा कि पुलिस हमारे बच्चों को धमका रही है. रविवार रात 9:00 बजे मेरे घर पुलिस आई, उस समय घर पर बच्चे थे. पुलिस वालों ने बच्चों को धमकाया की मम्मी को दिखाओ. पुलिस को यह अधिकार किसने दिया कि किसी एमएलए के घर जाकर इस तरीके से बात करें. बंजारों के मकान तोड़ने की घटना में मैं केवल सलाह देने गई थी और पुलिस हमें धमका रही है.

इसके बाद रालोपा विधायक पुखराज गर्ग ने सदन में कहा कि बंजारों के मकान तोड़ने की घटना में हमने राजकार्य में कोई बाधा नहीं पहुंचाई. पुलिस वाले हमें जयपुर आकर धमका रहे हैं, हमारे यहां सदन में रहना जरूरी है या पुलिस के सामने पूछताछ के लिए जाना जरूरी है? साथ ही कहा कि एफआईआर दर्ज होना आरोप सिद्ध होना नहीं होता है, हमें किस आधार पर आरोपी लिखा जा रहा है. हमारी बेज्जती करने हमें धमकाने के लिए पुलिस इस तरह के काम कर रही है.

वहीं विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर बहस के दौरान मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का समय गलत है. इस मामले में कोई दस्तावेज पहले नहीं दिया गया ना ही कोई नोटिस दिया गया. कल्ला ने कहा कि कानून की बाध्यता सब पर है. हाईकोर्ट के आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाये गए थे. दोनों विधायक विधानसभा सत्र के बाद पूछताछ के लिए पेश हो सकते हैं. दोनों विधायक यह बात लिख कर दें, समय मिल जाएगा.

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सदन में विशेषाधिकार हनन के मामले में स्पीकर सीपी जोशी ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मैं इस विषय की गंभीरता समझता हूं. विधायक अपने कर्तव्य निर्वहन में कई बार कानून का उल्लंघन भी कर जाता है. अगर किसी विधायक के खिलाफ केस दर्ज है और पुलिस उसे उस समय बुलाए जब विधानसभा चल रही हो तो यह गलत है.

स्पीकर ने कहा कि यह भी सही है कि नियम प्रक्रिया का पालन विशेषाधिकार हनन मामले लाने से पहले होना चाहिए, लेकिन विशेष परिस्थितियों में हम ऐसे मामले को इजाजत देते हैं. स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि हमने सरकार से पहले भी कहा कि सदन की कार्यवाही में कोई मीटिंग नहीं होनी चाहिए. यह जानकारी होने के बावजूद भी अगर विधायक के घर पुलिस जाए तो मतलब साफ है कि विधायक को सदन की कार्यवाही से दूर करने का यह प्रयास किया गया है.

स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सरकार का वर्जन आने के बाद मैं तय करूंगा कि इस मामले में विशेषाधिकार कमेटी को दिया जाए या फिर सदन में इसकी चर्चा की जाए. नए सदस्यों को समझने की आवश्यकता है और इसके साथ ही पूरे सरकारी तंत्र को समझने की आवश्यकता है कि विधानसभा में लिए गए निर्णय का पालन नहीं होता है तो यह संसदीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.

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