जयपुर. राजधानी में हेरिटेज नगर निगम का गठन होने के बाद परकोटे के बाजारों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कई बार कार्रवाई की गई. लेकिन हालात ढाक के तीन पात बने रहे. ऐसे में अब एक बार से सालों पहले हुए 'ऑपरेशन पिंक' जैसे कदम की दरकार महसूस हो रही है.
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यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल जयपुर के परकोटे को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. ये पर्यटक शहर के प्रसिद्ध बाजारों में खरीददारी का लुत्फ भी उठाते हैं. लेकिन दुकानों के आगे अतिक्रमण, पार्किंग की जगह थड़ी-ठेले और राहगीरों को चलने के लिए बने बरामदों में पसरी दुकानें पर्यटकों के साथ ही शहर वासियों के लिये भी परेशानी का सबब बनते हैं. रामगंज बाजार, चांदपोल बाजार और त्रिपोलिया बाजार इसके बड़े उदाहरण हैं.
शहर के बाजारों के इन हालातों को देखने के बाद अब एक बार फिर 'ऑपरेशन पिंक' की दरकार महसूस होने लगी है. इस संबंध में हाल ही में हुई पुलिस प्रशासन और निगम प्रशासन की संयुक्त बैठक में भी विचार विमर्श कर अभियान चलाते हुए अतिक्रमण हटाने का निर्णय लिया गया. हेरिटेज नगर निगम आयुक्त लोक बंधु ने बताया कि जयपुर पुलिस के साथ नगर निगम प्रशासन बरामदों और बाजारों में नियमित रूप से अस्थाई अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई कर रहा है और अब इसे युद्ध स्तर पर किया जाएगा. इस संबंध में पहले लोगों से समझाइश की जाएगी और फिर कड़ा रुख भी अख्तियार किया जाएगा.
बता दें कि राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद साल 2002 में ऑपरेशन पिंक चलाया गया था. उस वक्त बरामदे हो या सड़क सभी जगहों से अतिक्रमण हटाया गया. उसके बाद बरामदों में पक्का निर्माण तो नहीं हुआ, लेकिन व्यापारी बरामदे में सामान रखने से बाज नहीं आते.