जयपुर. राजधानी की सड़कों पर चलने वाले दोपहिया, तिपहिया और चौपहिया वाहन के हॉर्न से जो शोर उत्पन्न होता है वह हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेहद खतरनाक है. जिसे देखते हुए जयपुर पुलिस ने वाहन चालकों को समझाने के लिए 29 सितंबर से नो हॉकिंग अभियान की शुरुआत की.
अभियान को शुरू हुए 1 महीने से भी अधिक का समय हो चुका है लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी के वाहन चालक अपनी आदत से मजबूर नजर आ रहे हैं. अभियान को लेकर जब ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया और राजधानी के चार अलग-अलग चौराहों पर पहुंची तो पहले की तुलना में स्थिति में कुछ सुधार नजर आया, लेकिन अनेक वाहन चालक बेवजह हॉर्न बजाकर वाहनों को दौड़ाते हुए नजर आए.
गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा : न ट्रैफिक, न जाम फिर भी तेज हॉर्न
रियलिटी चेक करने के लिए जब ईटीवी भारत के टीम जयपुर पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय के सामने स्थित गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा पहुंची तो वहां छोटे से लेकर बड़े वाहनों तक के चालक बेवजह हॉर्न बजाते हुए नजर आए. जबकि चौराहे पर चारों तरफ ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद थे जो बड़ी आसानी से ट्रैफिक का संचालन करा रहे थे, लेकिन इसके बावजूद भी आदत से मजबूर वाहन चालक रेड लाइट पर खड़े होकर और ग्रीनलाइट होने तक बेवजह हॉर्न बजाते नजर आए जिसके चलते नॉइज पॉल्यूशन उत्पन्न हो रहा था.
चौमूं हाउस सर्किल : ध्वनि प्रदूषण
ईटीवी भारत की टीम जब रियलिटी चेक करने के लिए चौमूं हाउस सर्किल पहुंची तो वहां भी वाहन चालकों के लगातार हॉर्न बजाने के चलते नॉइज पॉल्यूशन पाया गया. सर्किल पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात थे और बड़े आराम से यातायात का संचालन हो रहा था. लेकिन इसके बावजूद भी ग्रीन सिगनल होने पर वाहन चालक बेवजह हॉर्न बजाते हुए पाए गए. सर्किल से गुजरने वाली रोडवेज और प्राइवेट बसों के चालक भी हॉर्न बजा रहे थे, जिसके चलते काफी शोर उत्पन्न हो रहा था.