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'हाथ' का साथ देने वालों को गहलोत देंगे इनाम - Rajasthan latest Hindi news

राजस्थान में गहलोत सरकार बचाने वाले विधायकों का सब्र न टूटे, इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभी 118 विधायकों को सरकार में हिस्सेदारी देंगे. इस दौरान पीसीसी चीफ डोटासरा का प्रमोशन होगा तो वहीं पायलट खेमे के कई विधायकों को कैबिनेट में मौका मिलेगा.

Rajasthan cabinet expansion, Chief Minister Ashok Gehlot
सरकार बचाने वाले विधायकों को मिलेगी सरकार में हिस्सेदारी

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Published : Dec 2, 2020, 4:00 AM IST

Updated : Dec 2, 2020, 9:10 AM IST

जयपुर. एक ओर राजस्थान में बीजेपी की ओर से गहलोत सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने वाले विधायकों को सरकार के 2 साल होने पर सरकार में कोई ना कोई हिस्सेदारी देने का मानस बना चुके हैं. खास बात यह है कि गहलोत ने जो प्लान तैयार किया है, उसमें न केवल वह विधायक शामिल होंगे, जो गहलोत खेमें में शामिल थे, बल्कि पायलट खेमे के विधायकों को भी सरकार में हिस्सेदारी दे दी जाएगी, ताकि किसी तरीके का विवाद आने वाले समय में राजस्थान में खड़ा ही ना हो.

हालांकि ये नियुक्तियां इसी साल दिसंबर में होंगी या फिर नए साल तक के लिए विधायकों को इसका इंतजार करना होगा, इसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है. वर्तमान में सरकार में मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री हैं, जबकि कांग्रेस खेमे में कुल 118 विधायक हैं. ऐसे में सरकार बाकी बचे विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों, संसदीय सचिव और यहां तक कि विधानसभा की कमेटियों का चेयरमैन बनाकर उन्हें पद से नवाज देगी.

जानकारों की मानें तो प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन के पिछले दौरे पर मुख्यमंत्री आवास पर हुई लंबी मंत्रणा पर इस विषय पर चर्चा हो भी चुकी है. बता दें कि पायलट कैंप के विधायकों को भी कैबिनेट में हिस्सेदारी मिलेगी, जिनमें पद से हटाए गए रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह के साथ ही हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, विजेंद्र ओला, मुरारी लाल मीणा और गजेंद्र शक्तावत के नाम शामिल हैं, हालांकि इनमें से कितने मंत्री पद पाते हैं, यह आने वाला समय बताएगा.

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी प्रदेश अध्यक्ष होने के चलते राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री पर प्रमोट किया जाएगा. ऐसा ही अशोक चांदना के साथ भी किया जा सकता है. वहीं महेश जोशी भी अब मुख्य सचेतक की जगह गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं तो वहीं राजेंद्र गुढ़ा, परसराम मोरदीया, खिलाड़ी लाल बैरवा, मंजू मेघवाल, शकुंतला रावत, साफिया जुबेर जैसे विधायक भी मंत्री पद की दौड़ में चल रहे हैं.

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10 निर्दलीय, बीटीपी के 2 विधायकों को भी सरकार में हिस्सेदारी देने पर कवायद चल रही है, जबकि आरएलडी से सुभाष गर्ग पहले ही मंत्री हैं. सभी विधायकों को साधने की कवायद के पीछे तर्क है कि सरकार को मिल रहा समर्थन 5 साल तक मिलता रहे. अभी जो खाका तैयार हुआ है, उसके अनुसार मुख्यमंत्री समेत 27 मंत्री बनेंगे, 10 से 15 संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं, एक विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, एक विधानसभा मुख्य सचेतक और सचेतक, दो दर्जन यूआईटी चेयरमैन, 45 आयोग, बोर्ड, मंडल, अकादमी चेयरमैन, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाए जाएंगे. इस बार यह भी विचार गहलोत सरकार की ओर से चल रहा है कि विधान सभा की समितियों के अध्यक्षों को भी राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया जाए और इन पदों पर कांग्रेस विधायकों या फिर समर्थित विधायकों को मौका दिया जाए, ताकि सभी विधायकों को सरकार में हिस्सेदारी मिल सके.

Last Updated : Dec 2, 2020, 9:10 AM IST

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