जयपुर. एक ओर राजस्थान में बीजेपी की ओर से गहलोत सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने वाले विधायकों को सरकार के 2 साल होने पर सरकार में कोई ना कोई हिस्सेदारी देने का मानस बना चुके हैं. खास बात यह है कि गहलोत ने जो प्लान तैयार किया है, उसमें न केवल वह विधायक शामिल होंगे, जो गहलोत खेमें में शामिल थे, बल्कि पायलट खेमे के विधायकों को भी सरकार में हिस्सेदारी दे दी जाएगी, ताकि किसी तरीके का विवाद आने वाले समय में राजस्थान में खड़ा ही ना हो.
हालांकि ये नियुक्तियां इसी साल दिसंबर में होंगी या फिर नए साल तक के लिए विधायकों को इसका इंतजार करना होगा, इसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है. वर्तमान में सरकार में मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री हैं, जबकि कांग्रेस खेमे में कुल 118 विधायक हैं. ऐसे में सरकार बाकी बचे विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों, संसदीय सचिव और यहां तक कि विधानसभा की कमेटियों का चेयरमैन बनाकर उन्हें पद से नवाज देगी.
जानकारों की मानें तो प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन के पिछले दौरे पर मुख्यमंत्री आवास पर हुई लंबी मंत्रणा पर इस विषय पर चर्चा हो भी चुकी है. बता दें कि पायलट कैंप के विधायकों को भी कैबिनेट में हिस्सेदारी मिलेगी, जिनमें पद से हटाए गए रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह के साथ ही हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, विजेंद्र ओला, मुरारी लाल मीणा और गजेंद्र शक्तावत के नाम शामिल हैं, हालांकि इनमें से कितने मंत्री पद पाते हैं, यह आने वाला समय बताएगा.