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जयपुर में 'रवींद्र उत्सव 2021' का मंत्री बीडी कल्ला ने किया उद्घाटन

जयपुर में शुक्रवार को कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने रवींद्र मंच पर रवींद्र कला उत्सव 2021 का उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम 22 मार्च तक आयोजित होगा. इस दौरान मंत्री कल्ला ने कहा कि जयपुर में एक बार फिर से कला, संस्कृति और साहित्य से जुड़े सभी कार्यक्रमों को बहुत जल्द शुरू किया जाएगा.

Ravindra Utsav 2021 ,  Minister BD Kalla
'रवींद्र उत्सव 2021' का आगाज

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Published : Mar 20, 2021, 3:52 AM IST

जयपुर.प्रदेश के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने रवींद्र मंच पर शुक्रवार को 'रवींद्र कला उत्सव 2021' का उद्घाटन किया. कार्यक्रम का आयोजन रवींद्र मंच सोसायटी की ओर से कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार और राजस्थान ललित कला अकादमी के सहयोग से किया जा रहा है. यह कार्यक्रम रोजाना विभिन्न प्रस्तुतियों के साथ 22 मार्च तक आयोजित होगा.

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इस अवसर पर मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि रवींद्र मंच की आर्ट गैलेरीज राजस्थान के साथ ही बाहर के कलाकारों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है. कलाकार अपने कार्य को रवींद्र मंच के 'कला दीर्घ' में प्रस्तुत करके भी लाभान्वित हो सकते हैं. जयपुर में एक बार फिर से कला, संस्कृति और साहित्य से जुड़े सभी कार्यक्रमों को बहुत जल्द शुरू किया जाएगा.

उद्घाटन के बाद मंत्री बी.डी कल्ला ने विनय शर्मा की ओर से क्यूरेट की गई एग्जीबिशन में कलाकृतियों का अवलोकन किया. इसके बाद जयपुर कथक केंद्र की ओर से 'गणेश वंदना' की प्रस्तुति दी गई. रवींद्र मंच पर शाम को नाटक 'अग्निपथ' का मंचन किया गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन और संघर्ष पर आधारित इस हिन्दी नाटक को मुख्य ऑडिटोरियम में प्रदर्शित किया गया. इसका निर्देशन डॉ. चंद्रदीप हाडा की ओर से किया गया और एक्टर्स थियेटर राजस्थान संस्था के कलाकारों की ओर से परफॉर्म किया गया. इस नाटक में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के महान योगदान को रेखांकित किया गया है.

नेताजी के जीवन और संघर्ष के बहुत से अनछुए पहलुओं को भी यह नाटक उजागर करता है. वे जीवनपर्यन्त एक सुखी, समृद्ध और स्वतंत्र भारत का सपना देखते रहे. 'अग्निपथ' एक पूर्णावधि नाटक है, जिसका प्रारम्भ सुभाष के आईसीएस की उच्चतम प्रशासनिक पद्वी ठुकराकर स्वाधीनता आन्दोलन में प्रवेश के साथ होती है. महात्मा गांधी का आशीर्वाद और देशबन्धु चितरंजनदास का मार्गदर्शन प्राप्त करने तथा मात्रभूमि के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के संकल्प के साथ सुभाष क्रान्ति के पथ पर आगे बढ़ जाते हैं. अंग्रेज सरकार और उसकी पुलिस के बर्बर प्रहारों के साथ वे अनेक बार जेल की यातनाएं सहते हैं, किन्तु झुकते नहीं हैं.

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