दरभंगा/जयपुर: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज पहला अर्घ्य है. छठ पर्व को लेकर कई मान्यताएं भी हैं. भगवान सूर्य की यह आराधना में छठी मईया और छठ पूजा के नाम को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी है. इस कथा की वजह से ही यह 'छठ पूजा' के नाम से प्रसिद्ध है.
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने छठ पूजा को लेकर एक पौराणिक कथा बताई. उन्होंने कहा कि 'सूर्य षष्टी व्रत' आम जन में छठ पूजा के नाम से प्रचलित है. इसे प्राचीन काल में परिहार षष्टी और स्कंद षष्टी भी कहा जाता था. भगवान सूर्य की इस पूजा में छठी मईया की चर्चा को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी है.
गंगा से जुड़ा है छठी मईया का नाम
विभागाध्यक्ष प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि गंगा ने एक छह स्कंद वाले पुत्र को जन्म दिया. उसके बाद गंगा ने उसे सरकंडा के वन में छोड़ दिया. उस वन में छह कृतिकाएं रहती थीं, उन्होंने उस बालक का पालन-पोषण किया. ये कृतिकाएं षष्टी माता कहलाई. इन्हीं कृतिकाओं के नाम पर कार्तिक मास का नाम पड़ा. कृतिकाओं को गंगा के पुत्र षष्टी तिथि को मिला था. इसलिए इस व्रत में छठी मईया का जिक्र आता है.