राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

नव विक्रमी संवत्सर 2078 के प्रमुख व्रत-त्यौहारों का वार्षिक कैलेंडर लॉन्च - nav vikram samvatsar 2078

नव विक्रमी संवत्सर 2078 के प्रमुख पर्व, व्रत और त्योहारोंं का सर्वसम्मति से निर्धारण करने केे लिए शनिवार को गोविंददेवजी मंदिर में धर्म सभा का आयोजन किया गया. जगद्गुरू रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर कैलाश चंद शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित धर्मसभा में विभिन्न मंदिरों के संत-महंत, ज्योतिषाचार्य, पंचांग निर्माता एवं अन्य विद्वान उपस्थित रहे

nav vikram samvatsar 2078
नव विक्रमी संवत्सर

By

Published : Apr 4, 2021, 7:17 AM IST

जयपुर.नव विक्रमी संवत्सर 2078 के प्रमुख व्रत-त्यौहारों का वार्षिक कैलेंडर लॉन्च के मौके पर सभी ने प्रमुख व्रत-त्यौहार पर विचार-विमर्श कर पर्वों का वार्षिक कैलेंडर जारी किया. गोविंददेवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने सभी विद्वानों और संतों-महंतों का सम्मान किया. धर्म सभा में सरस निकुंज के अलबेली माधुरीशरण महाराज, महामंडलेश्वर पुरूषोत्तम भारती, घाट के बालाजी मंदिर के स्वामी सुदर्शनाचार्य, चांदपोल स्थित परकोटा वाले गणेश मंदिर के प्रवक्ता अमित शर्मा सहित अनेक विद्वान उपस्थित थे.

पढ़ें :किसान आंदोलन में दम तोड़ चुके किसानों की याद में बनेगा शहीद स्मारक, देश भर से आ रही मिट्टी

इस मौके पर जय विनोदी जयपुर पंचांग के निर्माता आदित्य मोहन शर्मा ने धर्म सभा में बताया कि विक्रम संवत 2078 में भाद्रपद शुक्ल पक्ष 13 दिन का है जो कि 8 सितम्बर से 20 सितम्बर तक रहेगा. धारणा है कि इसका दुष्प्रभाव 13 महीने पहले ही शुरू हो जाता है, जो शुभ नहीं है. भागवत पुराण के अनुसार महाभारत काल में भी 13 दिल का पक्ष आया था. बहुत से शास्त्रों में 13 दिन के पक्ष को अशुभ फल दायक माना है.

वहीं, जब कभी तेरह दिन का पक्ष आता है तब लोगों में क्लेश, रोग, विग्रह, उपद्रव, हिंसा, छत्रभंग इत्यादि अनेक अशुभ फल होते हैं. संवत 2078 से पहले संवत् 2062 सन् 2005 में भी कार्तिक शुक्ल पक्ष 13 दिन का था. इस पक्ष में 29 अक्टूबर को दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, जिससे 60 लोगों की मृत्यु हुई थी तथा 200 व्यक्ति घायल हुए थे. इस साल सितंबर का महीना विविध प्रकार के द्वंद्वों से युक्त हो सकता है. इसलिए इस अवधि में मंदिरों में महामृत्युंजय महामंत्र का जप, आराधना, हरिनाम कीर्तन, यज्ञ करना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details