जयपुर.राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दो दिवसीय फीडबैक कार्यक्रम (SC commission two days feedback program) बुधवार से शुरू हुआ. यहां जयपुर कलेक्ट्रेट में राष्ट्रीय एससी आयोग अध्यक्ष विजय सांपला ने राजस्थान के अनुसूचित जाति के विधायकों और पूर्व विधायकों के साथ चर्चा कर प्रदेश में एससी वर्ग (Dalit harassment in Rajasthan) के सामने आ रहीं समस्याओं को लेकर चर्चा की. इस बैठक के बाद एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने दलित अत्याचार पर राजस्थान सरकार से इशारों-इशारों में यूपी का योगी फार्मूला अपनाने की मांग की.
बैरवा ने कहा कि जो भी अत्याचारी हैं और दबंग हैं उनकी जमीन और मकान को कुर्क कर सरकार अपने कब्जे (Bairwa demand to attached the Property of accused) में ले और उससे जो पैसा मिले वह पीड़ित दलित परिवार को दें. जालोर की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश कांग्रेस की जगह सरकार को 50 लाख की आर्थिक सहायता और पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए थी. अभी भी उनकी सरकार से यही मांग है. बैरवा ने कहा न केवल मुआवजा और सरकारी नौकरी बल्कि सरकार को अब यह कानून भी लाना चाहिए कि दलित के साथ अत्याचार करने वाले व्यक्ति के मकान को भी सरकार कुर्क करें और उससे मिलने वाली राशि वह पीड़ित परिवार को दे.
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दलित अधिकारों की बात करने वाले एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर मिलने वाला संवैधानिक दर्जा नहीं दिए जाने पर उन्होंने अपनी ही सरकार से संघर्ष करने की बात करते हुए कहा, कि वह जल्दी ही संवैधानिक दर्जा भी प्राप्त करने वाले हैं और 19 तारीख को जब विधानसभा का सत्र चलेगा उससे पहले आप सब देखेंगे कि उन्हें संवैधानिक दर्जा मिल चुका होगा.
उन्होंने कहा कि मैं संघर्ष कर रहा हूं और उसका नतीजा मिलेगा. दलित अत्याचारों पर उन्होंने कहा कि कुछ दिनों से नहीं बल्कि आजादी के 75 साल हो गए हैं और तब से एससी वर्ग पर अत्याचार हो रहे हैं. कई इलाकों में तो ऐसा लगता है कि जैसे वह पता नहीं किस दुनिया में रहते हैं. किसी सरकार पर दोषारोपण करना ठीक नहीं यह अलग तरह की समस्या है. यह एक सामाजिक समस्या है जिसको अच्छी तरीके से हल करना चाहिए.
भाजपा के पूर्व दलित मंत्री में खुद पर अत्याचार के आरोप लगाए
फीडबैक कार्यक्रम में सत्ताधारी दल कांग्रेस के दलित नेताओं के साथ ही विपक्षी पार्टी भाजपा के भी ऐसी विधायकों और पूर्व विधायकों को इसमें बुलाया गया. इस बैठक में भाजपा विधायकों ने जब प्रदेश में बढ़ रही दलित अत्याचारों की बात उठाई तो इस पर हंगामा शुरू हो गया. बीच-बचाव कर मामला शांत करवाया गया. भाजपा सरकार में संसदीय सचिव रह चुके जितेंद्र गोठवाल खड़े हो गए और उन्होंने दलित अत्याचार वर्तमान सरकार में बढ़ने के आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि दूसरे की क्या कहें, मैं खुद ही इस सरकार में दलित अत्याचार का शिकार रहा हूं. इस कारण जेल की सजा तक काटनी पड़ी है और गलत कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
मिड डे मील में भेदभाव में नहीं मिली सच्चाई
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के अध्यक्ष विजय सांपला ने 2 दिन पहले यह कहा था कि राजस्थान के स्कूलों में मिड डे मील को लेकर शिकायत मिली है और भोजन के समय अनुसूचित जाति के बच्चों को सामान्य श्रेणी के छात्रों से अलग बैठाया जाता है. इसपर राजस्थान के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि जैसे ही यह बात राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कही उन्होंने अपने विभाग की जांच करवाई है लेकिन उन्हें इस बात में सच्चाई नहीं मिली. हालांकि अगर कोई व्यक्तिगत जगह को लेकर मुझे जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष देंगे तो वहां निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी, लेकिन प्रदेश में मिड डे मील के संबंध में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है.