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कटारिया ने छात्रावासों में मिलने वाले बिस्तरों की बुरी हालत पर कसा तंज, कहा- ऐसे बिस्तरों पर कुत्ते भी बैठना पसंद नहीं करेंगे

झाड़ोल में आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों में बुरी हालत में मिलने वाले गद्दे, तकियों और कंबलों की बुरी हालत पर नेता प्रतिपक्ष ने तंज कसा. उन्होंने कहा कि ऐसे बिस्तरों पर तो कुत्ते भी बैठना पसंद नहीं करेंगे. इसके बाद स्पीकर सीपी जोशी ने मंत्री अर्जुन बामणिया से कहा कि विभाग इसमें मॉनिटरिंग की व्यवस्था करवाएं.

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Published : Feb 11, 2021, 3:36 PM IST

bad condition of beds in hostels of rajasthan, Gulabchand Kataria
कटारिया ने गहलोत सरकार पर कसा तंज

जयपुर.प्रदेश के आवासीय विद्यालयों में मिल रही सुविधाओं को लेकर राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सदन में गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो बिस्तर आवासीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को मिल रही है, ऐसे बिस्तर पर तो कुत्ते भी नहीं बैठेंगे.

कटारिया ने गहलोत सरकार पर कसा तंज

दरअसल, राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को झाड़ोल में आवासीय विद्यालयों की व्यवस्थाओं को लेकर भाजपा विधायक बाबूलाल ने सवाल लगाया. इस सवाल पर जवाब देते हुए जनजाति एवं क्षेत्रीय विकास मंत्री अर्जुन सिंह बामणिया ने कहा कि झाड़ोल में छात्रावासों एवं आवासीय विद्यालयों के रखरखाव और छात्र-छात्राओं के बिस्तर पर 2 सालों में 16 करोड़ 94 लाख रुपए की राशि का व्यय किया गया है.

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इस पर विधायक बाबूलाल ने कहा कि कुछ आवासीय विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो बाकी बचे छात्रावासों में क्या रखरखाव की आवश्यकता नहीं थी? यहां पर चद्दर, कंबल, तकिए के कवर कब खरीदे थे, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई. इस पर मंत्री ने कहा कि जहां के हॉस्टल वार्डन डिमांड भेजते हैं, वहां पर चद्दर, तकिए के कवर और कंबल भेजे जाएंगे.

इस जवाब के बाद मंत्री अर्जुन बामणिया घिरते हुए दिखाई दिए, तो नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी कहा कि जो जवाब दिया गया है उसमें 16 लाख 94 हजार इन 20 छात्रावास पर दिया गया है. जबकि प्रश्न यह था कि अंबासा, मालवा, फलासिया, दहिया, बागपुरा, झाड़ोल में गद्दे और तकिए कब दिए थे और इन्हें कब बदला गया. अगर नहीं बदला गया तो क्या केवल इंचार्ज ही दोषी है या फिर सरकारी सिस्टम भी दोषी है.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया ने कहा कि बड़ा दुख होता है कि इतना खर्चा करके इन बच्चों का जीवन सुधारना चाहते हैं, लेकिन उन्हें जो गद्दे और तकियों के कवर दिए जाते हैं उन पर कुत्ते भी बैठना पसंद नहीं करेंगे. इस पर मंत्री अर्जुन बामणिया ने कहा कि बेड की 3 साल और पलंग की 5 साल की अवधि होती है, ऐसे अलग-अलग सामान की अलग-अलग खरीद होती है.

इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि मैंने जवाब में देखा है कि पंचायत मुख्यालय पर तो कंबल जा रहे हैं, लेकिन हैमलेट में जो गांव है वहां पर नहीं जा रहे हैं. इसका मतलब यह है कि वहां का अधिकारी पंचायत मुख्यालयों के अलावा अलग हॉस्टल पर जा ही नहीं रहे हैं. ऐसे में ऐसी व्यवस्था हो कि उसकी रेगुलर मॉनिटरिंग हो. जहां आवश्यकता हो वह करें केवल वार्डन पर ही ना छोड़ी जाए, बल्कि सुपरवाइजर लगाएं ताकि सबको रिलीफ मिले. इस पर मंत्री अर्जुन बामणिया ने कहा कि जैसा स्पीकर ने आदेश किया वैसा हो जाएगा.

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