जयपुर.विधायक अपने क्षेत्र की समस्या अगर किसी माध्यम से उठाते हैं तो वह है विधानसभा में सवाल. अगर किसी विधायक के क्षेत्र में कोई समस्या हो तो उसे दूर करने के लिए इसी माध्यम का इस्तेमाल विधायक अक्सर करते हुए दिखाई देते हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं जो विधायक होने के बाद भी अपने क्षेत्र की समस्याओं के सवाल नहीं लगा पाते हैं. इनमें प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री शामिल होते हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री और मंत्री स्वयं सत्ता के भाग होते हैं और उन पर पूरे प्रदेश की समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी होती है ऐसे में मंत्री और मुख्यमंत्री सवाल नहीं लगाते हैं.
हालांकि विपक्ष के विधायक सवालों के माध्यम से न केवल अपने क्षेत्र की समस्या उठाते हैं बल्कि सत्ता पक्ष को भी गिरने का काम करते हैं लेकिन विपक्ष में भी एक पथ नेता प्रतिपक्ष का ऐसा होता है जिस पर आसीन नेता सवाल लगाने से बसते हैं. कम से कम बीते दो कार्यकाल तो ऐसे दिखाई दे रहे हैं जब पिछली भाजपा सरकार के समय कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और उससे पहले भाजपा की नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने एक भी सवाल सदन में नहीं लगाया था, तो वहीं संभवत अब तक सभी नेता प्रतिपक्ष रहे नेताओं ने सवाल सदन में नहीं लगाए, लेकिन अब इस परंपरा को वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने तोड़ दिया है जिन्होंने इस सत्र में सवाल लगाए हैं और सरकार को न केवल अपने विधायकों के सवालों के जरिए बल्कि खुद अपने सवालों के जरिए भी गिरने का काम किया है.