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जयपुर कलेक्टर जोगाराम के संघर्ष की पूरी कहानी, मेहनत कर खुद बनाया रास्ता

जयपुर कलेक्टर का पद संभालने वाले जोगाराम ने 2 दिन पुराने अखबार पढ़कर और रेडियो सुनकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे. अपनी मेहनत, जोश और जुनून के बल पर वे लगातार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते गए.

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Published : Dec 6, 2019, 3:14 PM IST

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जयपुर कलेक्टर जोगाराम

जयपुर. राजधानी के नवनियुक्त कलेक्टर जोगाराम जांगिड़ की सफलता के पीछे संघर्ष की एक पूरी कहानी है, जो हर किसी को आगे बढ़ने और कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करती है. अपने संघर्ष के दम पर जोगाराम बेहद पिछड़े गांव गंगाला से निकल कर आज जयपुर कलेक्टर के पद तक पहुंचे हैं.

जोगाराम के संघर्ष की पूरी कहानी

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जोगाराम राजस्थान के बेहद शांत IAS अफसरों में शुमार हैं. जयपुर कलेक्टर का पद संभालने वाले जोगाराम 2 दिन पुराने अखबार और रेडियो सुनकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते थे. अर्जुन राम जांगिड़ की पहली संतान के रूप में 17 जनवरी 1981 को जन्म हुआ. जोगाराम जांगिड़ की दिलचस्पी फर्नीचर के पुश्तैनी काम में नही थी. शुरू से ही जोगाराम को पढ़ने का शौक था. उसी का नतीजा रहा, कि पिछड़े इलाके गंगाला से निकलकर जयपुर जिला कलक्टर तक का सफर तय किया.

कलेक्टर बनने से पहले ग्राम सेवक भी रहे जोगाराम...

जोगाराम ने गांव गंगाला और बाड़मेर के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की.12वीं कक्षा पास करने के बाद साल 1999 में जोगाराम की सबसे पहले ग्राम सेवक के रूप में सरकारी नौकरी लगी. इत्तेफाक से पोस्टिंग भी अपनी ही पंचायत समिति के सेतरउ गांव में मिली. ग्राम सेवक बनने के बाद जोगाराम ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और कॉलेज की पढ़ाई स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की.

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बिना कोचिंग के बने IAS...

बाड़मेर जिले में करीब 5 साल ग्राम सेवक रहने के दौरान जोगाराम ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. खास बात ये है, कि जोगाराम ने कोई कोचिंग नहीं की. बाड़मेर में ही रहकर किताबें, पुस्तकालय, अखबार और रेडियो में बीबीसी सुनकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. साल 2005 में 62वीं रैंक पर जोगाराम का IAS में चयन हुआ.

5 भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं जोगाराम...

जोगाराम पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. खास बात ये है, कि उनके भाई-बहन भी पीछे नहीं हैं. उनसे छोटे 2 भाई और 2 बहन है. छोटे भाई शंकर जांगिड़ का 2013 में IRS में चयन हुआ. मंझले भाई नाथूराम गांव के सरपंच हैं. साल 2001 में बाड़मेर की चौहटन पंचायत समिति के गांव घोनिया की मोहरी देवी से जोगाराम की शादी हुई. उनका बेटा अमृत 11वीं कक्षा में और बेटी शीतल प्रथम वर्ष में जयपुर में पढ़ाई कर रहीं हैं.

अपनी जड़ों से गहरा लगाव रखते हैं जोगाराम...

IAS बनने के बाद भी जोगाराम का अपनी जड़ों से गहरा जुड़ाव है. घर परिवार में कोई शादी हो या कोई जागरण का कार्यक्रम, वे हर कार्यक्रम में शिरकत करते हैं. जोगाराम का गांव गंगाला बेहद पिछड़ा हुआ है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि उनके भाई नाथूराम के सरपंच बनने के बाद साल 2017 में गंगाला गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंची.

गांव में 2 दिन बाद आता था अखबार...

जिस समय जोगाराम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते थे, तब उनके गांव में अखबार भी 2 दिन बाद और रोजगार समाचार 7 दिन बाद पहुंचता था. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से 60 किलोमीटर दूर बसे गांव गंगाला में तब एक ही बस चला करती थी, जो सिर्फ बाड़मेर तक ही आती-जाती थी.

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जोगाराम जब आईएएस बने तब उनकी पहली बार फुल साइज की तस्वीर खींची गई. इससे पहले परीक्षाओं के फॉर्म पर लगाने के लिए पासपोर्ट साइज की फोटो खिंचवाई थी. साल 2001 में जोगाराम की शादी में भी कोई फोटोग्राफी नहीं हुई थी. गांव में शादियों में फोटोग्राफी का माहौल ही नहीं था.

बाड़मेर से आईएएस बनने वाले दूसरे शख्स हैं जोगाराम...

जयपुर जिला कलेक्टर जोगाराम की कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है. जोगाराम साल 2005 में बाड़मेर से आईएएस बनने वाले दूसरे शख्स हैं. जोगाराम से पहले बाड़मेर से ललित पंवार आईएएस बने थे. अपनी मेहनत और पिछड़े इलाके से निकलने की वजह से ही जोगाराम जमीन से जुड़े हुए नौकरशाह माने जाते हैं. जोगाराम भरतपुर, दौसा, कोटा और झुंझुनूं जिला कलेक्टर सहित राजस्थान की नौकरशाही में कई अहम पदों पर रह चुके हैं.

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