राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

पटाखों पर रोक को लेकर HC में सुनवाई टली, जुर्माना आदेश को खंडपीठ में दी जाएगी चुनौती

राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में आतिशबाजी और पटाखों पर पाबंदी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में 6 नवंबर तक सुनवाई टल गई है. अब जुर्माना आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी जाएगी.

Petition against ban on firecrackers, Rajasthan High Court News
राजस्थान हाईकोर्ट

By

Published : Nov 4, 2020, 7:55 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में आतिशबाजी और पटाखों पर पाबंदी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में 6 नवंबर तक सुनवाई टल गई है. न्यायालय ने पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी करने पर जुर्माना लगाने के आदेश को रिकॉर्ड पर लेने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राजस्थान फायर वर्कर्स डीलर एंड मैन्यूफेक्चर्स एसोसिएशन की याचिका पर दिए. राज्य सरकार की ओर से नियमों में संशोधन कर जुर्माना राशि तय करने के खिलाफ एसोसिएशन की ओर से गुरुवार को खंडपीठ में याचिका पेश की जाएगी.

एकलपीठ के समक्ष दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार के इस फैसले से पटाखा उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. इसके अलावा कारोबारियों के करोड़ों रुपए का एडवांस भी फंस गया है. याचिका में कहा गया कि दूसरे किसी भी राज्य में आतिशबाजी और पटाखों पर पाबंदी नहीं है. इसके अलावा किसी बड़ी एजेंसी या संस्था ने भी किसी रिसर्च में यह दावा नहीं किया है कि पटाखे चलाने से कोरोना फैलेगा.

पढ़ें-वाहन चालक फायर भर्ती-2015 में खाली पद नहीं भरने पर HC ने मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि पटाखों से निकलने वाले धुएं के मुकाबले फैक्ट्रियां और वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में आतिशबाजी करने की समय सीमा तय कर चुका है, ऐसे में राज्य सरकार को पटाखों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के बजाए इनके लिए समय सीमा तय कर देनी चाहिए.

याचिकाकर्ता के लिए एक पद रिक्त रखने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2018 में चयन के बावजूद भूतपूर्व सैनिक को नियुक्ति नहीं देने पर शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव को नोटिस जारी किए हैं. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए सुरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश देवीसिंह गुर्जर की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने भूतपूर्व सैनिक कोटे के तहत भर्ती में आवेदन किया. चयन के बावजूद विभाग ने उसे यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी कि उसने आवेदन के एक साल के भीतर सेवानिवृत्ति प्रमाण पत्र पेश नहीं किया. याचिका में कहा गया कि एक साल की गणना आवेदन की अंतिम तिथि से नहीं बल्कि परिणाम जारी करने की तिथि से की जाती है.

याचिकाकर्ता ने परिणाम जारी होने के एक साल के भीतर सेवानिवृत्ति प्रमाण पत्र पेश कर दिया था. इसके बावजूद उसे नियुक्ति नहीं दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details