जयपुर.ओलावृष्टि से 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल खराबा होने की गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने प्रदेश के 11 जिलों के 85 गांवों को अभावग्रस्त घोषित किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने खराबे से प्रभावित इन 85 गांवों को अधिसूचित कर प्रभावित किसानों को कृषि आदान-अनुदान देने के लिए जारी की जाने वाली अधिसूचना के प्रारूप को मंजूरी दे दी है.
राज्य सरकार ने रबी फसल वर्ष 2020-21 में ओलावृष्टि से फसलों में खराबे की गिरदावरी के निर्देश दिए थे. जिला कलेक्टरों से प्राप्त नियमित और विशेष गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर झुंझुनूं जिले के 28, हनुमानगढ़ के 19, भरतपुर के 9, कोटा के 8, सवाईमाधोपुर के 6, टोंक एवं बीकानेर के 4-4, चूरू, चित्तौड़गढ़ एवं बाड़मेर के 2-2 तथा अलवर जिले के एक गांव को अभावग्रस्त घोषित किया गया है.
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राजावत ने दी है चेतावनी...
हाड़ौती में अतिवृष्टि से लाखों हेक्टेयर फसल तबाह हो गई है. पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने हाड़ौती में खराब हुई फसलों को लेकर सोमवार को किसानों के साथ प्रदर्शन किया. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी हाड़ौती की जनता का दर्द समझा. लोगों से मुलाकात की और उनके नुकसान की जानकारी भी ली है. प्रदेश के मुख्यमंत्री को ही हाड़ौती की जनता की चिंता नहीं है.
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कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ चारों जिलों में अतिवृष्टि ने कहर बरपा दिया. हजारों की संख्या में लोग कई दिनों तक बाढ़ में डूबे रहे. उनकी खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी कोई चिंता नहीं है. अब हाड़ौती की जनता उन्हें यहां पर नहीं आने देगी. राजावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे उन्हें हाड़ौती में प्रवेश नहीं करने देंगे.
पूनिया ने भी की थी मुआवजे की मांग...
वहीं,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने कहा था कि राजस्थान में तेज बारिश और बाढ़ से लाखों हेक्टेयर फसलों का नुकसान हुआ है. उन्होंने राज्य सरकार से जल्द गिरदावरी करवाकर मुआवजा जारी करने की मांग की थी. पिछले दिनों पूनिया ने बूंदी, कोटा, धौलपुर जिलों के कलेक्टरों से फोन पर बात कर बाढ़ के हालात की जानकारी ली थी, साथ ही राहत-बचाव कार्य तेज करने का आग्रह किया था. उन्होंने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को खाद्य सामग्री, भोजन एवं चिकित्सकीय व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की भी राज्य सरकार से मांग की थी.