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Special : गुलाबी नगरी में गोविंद की रसोई...हर दिन ढाई हजार जरूरतमंदों तक पहुंचा रही फूड पैकेट - मदद के हाथ

संकट के इस दौर में जरूरतमंदों की सेवा के लिए मदद के कई हाथ उठे हैं. राजधानी में कोई भी मरीज और उनका परिजन भूखा ना सोए, इस लक्ष्य के साथ कार्य कर रही 'गोविंद की रसोई' के जरिए अब तक लाखों लोगों तक फूड पैकेट पहुंचाए गए हैं. आरयूएचएस, ईएसआई और एसएमएस अस्पताल में हर दिन नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

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गोविंद की नगरी में गोविंद की रसोई

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Published : May 31, 2021, 10:44 AM IST

जयपुर.कोरोना संक्रमण काल में राज्य सरकार की ओर से जरूरतमंदों को इंदिरा रसोई के जरिए मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, गोविंद की नगरी में जरूरतमंदों के लिए गोविंद की रसोई की भी शुरुआत की गई. जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं की टोली ने कोविड-19 की मदद करने का बीड़ा उठाया.

कुछ इस तरह जरूरतमंदों तक पहुंचा रही फूड पैकेट...

गोविंद की रसोई शुरू करने वाले कमल खंडेलवाल ने बताया कि बीते दिनों गलता घाटी में वॉक करने के दौरान एक व्यक्ति ने रात 8:00 बजे उनसे बिस्किट के पैकेट मांगे. जिन्हें वो अपने कोरोना संक्रमित दोस्त, उनकी पत्नी और छोटी बच्ची के लिए ले जाना चाहता था. जन अनुशासन पखवाड़े की वजह से 5 किलोमीटर के क्षेत्र में भी उस व्यक्ति को कहीं भी खाने की सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाई थी. उसी रात गोविंद की रसोई शुरू करने का निर्णय लिया. जिसके तहत अस्पताल में भर्ती कोविड-19 संक्रमित मरीज और उनके अटेंडर के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की जा रही है.

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बीते करीब 1 महीने से चल रही गोविंद की रसोई द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे भोजन के बारे में टोली के श्रीप्रकाश ने बताया कि 500 पैकेट से शुरुआत की गई और आज करीब 2500 पैकेट प्रतिदिन जरूरतमंदों तक पहुंचाए जा रहे हैं. भोजन में मरीजों के लिए दलिया, खिचड़ी, दाल और रूखी चपाती. जबकि अटेंडेंट के लिए पूड़ी, सब्जी, घी की चपाती उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावा बिसलरी पानी, जूस के कैन, मास्क और सैनिटाइजर जरूरतमंदों को बांटे जाते हैं. गोविंद की रसोई की 4 टीम आरयूएचएस अस्पताल, एसएमएस के चरक भवन, एसएमएस गेट नंबर 2 और ईएसआई अस्पताल जाकर भोजन के पैकेट वितरित करती है.

मदद के हाथ...

वहीं, गोविंद की रसोई से जुड़े दीपक घीया ने बताया कि सेवा का कार्य करने के लिए धनराशि की भी आवश्यकता होती है. ऐसे में शुरुआत में रसोई से जुड़े कार्यकर्ताओं ने आपस में पैसा कलेक्ट किया. लेकिन जैसे-जैसे इसकी ख्याति बढ़ती गई, भामाशाह स्वत: धनराशि डोनेट करने लग गए. आलम ये है कि फिलहाल अतिरिक्त धनराशि इकट्ठी हो गई है. ऐसे में भामाशाहों को भी मना किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गोविंद की रसोई का एक ही लक्ष्य है कि कोई भी मरीज और उसका परिजन रात को भूखा ना सोए.

कोरोना काल में गोविंद की रसोई की अहम पहल...

इसी रसोई के एक अन्य कार्यकर्ता मनीष खुटेटा ने बताया कि गोविंद की रसोई में कोरोना प्रोटोकॉल की पूरी तरह पालना की जाती है. यही नहीं, नगर निगम प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार सूखा और गीला कचरा सेग्रीगेट किया जाता है और सुरक्षा की दृष्टि से फायर इक्विपमेंट भी रसोई स्थल पर लगाए गए हैं. बहरहाल, गाइडलाइन को फॉलो करते हुए गोविंद की रसोई फिलहाल राजधानी के मरीजों और जरूरतमंदों के लिए गोविंद का ही वरदान साबित हो रही है.

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