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गहलोत कैबिनेट का बड़ा फैसलाः मीसा और डीआरआई बंदियों को स्वतंत्रता सेनानी मानने से इनकार...सुविधाओं पर भी तत्काल प्रभाव से रोक

राजस्थान की गहलोत सरकार ने अपने कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लिया है. जिसमें सरकार ने मीसाबंदियों को स्वतंत्रता सेनानी मानने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही मीसा और डीआरआई बंदियों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया लिया है

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Published : Oct 14, 2019, 5:40 PM IST

जयपुर, MISA and DRI prisoners

जयपुर.मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी मीसा और डीआरआई बंदियों को स्वतंत्रता सेनानी मानने से इनकार कर दिया है. साथ ही तत्काल प्रभाव से उनको मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को भी बंद कर दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सोमवार को यह फैसला लिया गया.

इस बैठक में निर्णय लिया गया कि आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों और डीआरआई बंधुओं को स्वतंत्रता सेनानी नहीं माना जाएगा. इसलिए, उन्हें दी जाने वाली पेंशन तत्काल प्रभाव से बंद की जाती है. इसके साथ ही उन्हें मिलने वाले नि:शुल्क बस यात्रा और चिकित्सा सुविधाएं भी बंद कर दी गई हैं.

कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री ने लिया बड़ा फैसला

बता दें कि पिछली सरकार ने मीसा और डीआरआई बंधुओं को लोकतंत्र रक्षक नाम दिया था. इसके तहत बंधुओं को ₹20,000 मासिक पेंशन, नि:शुल्क बस यात्रा और नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने की योजना लागू की गई थी. वर्तमान में प्रदेश में 1,120 मीसा और करीब 500 से अधिक डीआरआई बंदी हैं. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मीसा बंदियों को सरकार स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानती, इसलिए उनकी सुविधा बंद की जाती है.

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धारीवाल ने कहा कि वह अपनी गलती से इतने दिन जेल में रहे. अगर उन्होंने माफी मांग ली होती तो उन्हें जेल में नहीं रहना पड़ता. उनके अलावा जिन लोगों ने भी माफी मांगी उन्हें माफ कर दिया गया. अब अगर वह अपनी मर्जी से ही जेल में रहे तो सरकार उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा कैसे दे सकती है.

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