जयपुर. साल 2020 में राजस्थान कांग्रेस में हुई राजनीतिक उठापटक के बाद भले ही अब ये लग रहा हो गहलोत और पायलट के बीच दूरियां (Gehlot Vs Pilot) कम हो गई हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. दोनों नेता कई बार सार्वजनिक मंच पर गले मिलते दिखे हैं लेकिन सूत्र बताते हैं कि दिल मिलना अभी बाकी है. ये बताना कोई मुश्किल भी नहीं. क्योंकि इधर देखा गया है कि जिस कार्यक्रम में सचिन पायलट जाते हैं उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं पहुंचते और जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होते हैं वहां से सचिन पायलट नदारद होते हैं.
दोनों के बीच आंख मिचौली का ये खेल पिछले दिनों भी देखने को मिला. मुख्यमंत्री आवास पर हुए विधायकों के डिनर में पायलट नहीं दिखे. वहीं हाल ही में सिविल लाइन फाटक पर कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित महंगाई विरोधी प्रदर्शन में सचिन पायलट दिखे तो सीएम नहीं दिखे. इसके कुछ देर बाद सीएम पहुंचे तो सचिन पायलट वहां पर नजर नहीं आए. आज एक बार फिर यही हालात दिखाई दे रहे हैं.
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डूंगरपुर के रतनपुर बॉर्डर पर राष्ट्रीय कांग्रेस के सेवादल के आजादी की गौरव यात्रा (Sewadal Gaurav Yatra Reaches Rajasthan) की सभा में राजस्थान के ज्यादातर प्रमुख नेता तो मौजूद रहेंगे लेकिन उसमें सचिन पायलट नहीं रहेंगे. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तो जयपुर से स्पेशल विमान में रवाना हुए हैं लेकिन जयपुर में ही मौजूद सचिन पायलट उनके साथ इस सभा में शामिल होने नहीं गए हैं.अब सचिन पायलट खुद इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए या फिर उन्हें साथ ले जाया नहीं गया यह यक्ष प्रश्न है! लेकिन हकीकत यही है कि अभी राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच शांति काल भले ही चल रहा हो लेकिन ये शांति कब तक जारी रहेगी इसके बारे में कोई कुछ कह नहीं रहा है.
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उपचुनावों में तो एक ही हेलीकॉप्टर में दिखे थे चारों: ऐसा नहीं है कि राजनीतिक उठापटक के बाद सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ नजर नहीं आए हों. इससे पहले जब प्रदेश में उपचुनाव हुए थे तो सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ एक ही हेलीकॉप्टर में सवार (Gehlot Pilot Saath Saath) होकर सभाओं में शामिल होने जाते थे. लेकिन उपचुनाव के बाद गहलोत और पायलट की एक हेलीकॉप्टर में तस्वीरें अब दिखाई नहीं दे रही. बात साफ है कि पायलट भले ही पूरे देश में कांग्रेस पार्टी के लिए स्टार प्रचारक हों लेकिन राजस्थान में वो एक विधायक भर रह जाते हैं. जिनके पास प्रोटोकॉल के तौर पर न तो कोई पद संगठन में है न हीं सरकार में.