राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

राजस्थान में हॉर्टिकल्चर में बढ़ रहा रुझान, आय में वृद्धि के लिए मिल रहा प्रशिक्षण

राजस्थान में हॉर्टिकल्चर में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है. सभी हॉर्टिकल्चर फसलें, जिनमें फल, सब्जियां,मसाले दवाओं के काम आने वाली फसल और फूलों का उत्पादन राजस्थान में बढ़ा. किसानों की आय में वृद्धि के लिए अब उन्हें गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है

हॉर्टिकल्चर न्यूज, राजस्थान में हॉर्टिकल्चर, किसान की आय, फसलों की गुणवत्ता, राजस्थान में बढ़ा उत्पादन, जयपुर न्यूज, horticulture news, jaipur news, farmers intrested in horticulture, income of farmers, good production of crops, rajasthan crops news
राजस्थान में हॉर्टिकल्चर

By

Published : Aug 19, 2020, 11:50 AM IST

Updated : Aug 19, 2020, 5:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान को मरूस्थल कहा जाता है. इस रेतीली धरती के बारे में हर कोई जानता है कि यहां पानी की कमी रहती है. इसी वजह से राजस्थान का किसान हमेशा मौसमी फसलों पर निर्भर रहते हैं. चाहे वह गेहूं हो बाजरा हो ज्वार हो जो हो या अन्य फसलें, लेकिन इनसे किसानों की आय लगातार गिरती चली गई.

राजस्थान में बढ़ता हॉर्टिकल्चर

राजस्थान के उद्यानिकी संयुक्त निदेशक केसी मीणा बताते हैं कि राजस्थान में हॉर्टिकल्चर यानी उद्यानिकी को साल 2005 में किसानों की आय में बढ़ोतरी की सोच के साथ राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत संचालित किया गया. राष्ट्रीय बागवानी मिशन का प्रमुख उद्देश्य किसानों की पैदावार बढ़ाना और अच्छी गुणवत्ता के फल लगाकर किसानों की आय की बढ़ोतरी को सुनिश्चित करना था. इसके तहत राजस्थान के अलग-अलग जिलों में किसानों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करवाया जा रहा है ताकि अच्छी गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध करने की क्षमता उनमें विकसित हो सके. इसके साथ ही प्लांटेशन, बगीचे लगाने की भी एक नया स्वरूप शुरू हुआ. यही कारण है कि राजस्थान में आज हालात सुधरे नजर आए हैं. साल 2010 में जहां 33, 534 हेक्टेयर में ही किसान उद्यान डेवलप करके फलों की खेती कर रहा था, वो अब बढ़कर 58000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है.

फूलों की क्षेत्रवार पैदावार

संयुक्त निदेशक केसी मीणा के अनुसार दूसरे राज्यों पर आधारित रहने वाला राजस्थान हॉर्टिकल्चर के नए प्रयोगों से अब इस हालत में पहुंच गया है कि संतरा, किन्नू ,अमरूद ,नींबू और आम अब दूसरे राज्यों में भी भेजे जा रहे हैं. हालांकि अभी राजस्थान को और आगे बढ़ने की आवश्यकता है क्योंकि राजस्थान में होने वाली फलों की पैदावार में संतरा, किन्नू, अमरूद, अनार, नींबू, आंवला ऐसे फल हैं जो पर्याप्त मात्रा में हो रहे हैं और उन्हें प्रदेश के बाहर भी भेजा जा रहा है.

सब्जियों की पैदावार

पढें-स्पेशल: बारिश की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की चिंता, बर्बादी की कगार पर फसलें

बात की जाए सब्जियों की तो साल 2010 मे जहां 33,534 हेक्टेयर में इसका उत्पादन 4,57,417 मेट्रिक टन होता था. वहीं अब प्रदेश में बढ़कर 1,66,175 हेक्टेयर में 16,63,007 मेट्रिक टन. इसी तरह मसालों के उत्पादन की तो साल 2010 में 6,98,561 हेक्टेयर में 6,68,979 मेट्रिक टन उत्पादन होता था जो अब बढ़कर 9,16,848 हेक्टेयर में 10,96,838 हो गया है.

मसालों की पैदावार

पढें-Special: चीकू की खेती कर लाखों में खेल रहा भीलवाड़ा का ये किसान

इसी तरह दवाइयों में काम आने वाली फसल साल 2010 में 2,86,251 हेक्टेयर में 1,46,712 मेट्रिक टन उत्पादन होता था, वही अब बढ़कर 3,88,012 हेक्टेयर में 3,70,613 मेट्रिक टन हो गया है.

फलों की पैदावार

इसी तरीके से फूलों की बात की जाए तो प्रदेश में साल 2010 में 3143 हेक्टेयर में 5241 मैट्रिक टन फूलों का उत्पादन होता था जो अब बढ़कर 3475 हेक्टेयर में 4853 मेट्रिक टन उत्पादन हो चुका है.

फसों की पैदावार

इस तरीके से सभी हॉर्टिकल्चर फसलों की बात की जाए तो जहां साल 2010 में 1175881 हेक्टेयर में 2226652 मेट्रिक टन उत्पादन होता था जो अब बढ़कर 15 लाख 1532443 हेक्टेयर में 4091740 मैट्रिक टन उत्पादन हो गया है.

Last Updated : Aug 19, 2020, 5:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details