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पंचायती राज चुनाव को लेकर बैठक में 'रार': डोटासरा बोले- टिकट कांग्रेस के निष्ठावान प्रत्याशियों को ही मिलेगा - राजस्थान कांग्रेस

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को पंचायती राज चुनाव को लेकर मंथन हुआ. 6 जिलों में से चार जिले भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और सिरोही के विधायकों, निर्दलीय विधायकों, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ ही संगठन के प्रभारियों और निवर्तमान जिला अध्यक्षों को भी इस बैठक में बुलाया गया.

गोविंद सिंह डोटासरा, Rajasthan News
गोविंद सिंह डोटासरा

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Published : Aug 12, 2021, 6:00 PM IST

जयपुर. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को पंचायती राज चुनाव को लेकर मंथन हुआ. 6 जिलों में से चार जिले भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और सिरोही के विधायकों, निर्दलीय विधायकों, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ ही संगठन के प्रभारियों और निवर्तमान जिला अध्यक्षों को भी इस बैठक में बुलाया गया. 4 जिलों की बैठक में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात निकल कर यह आई कि जहां निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में आए विधायक या आरएलडी के विधायक हैं, वहां टिकट देने में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही वरीयता दी जाए.

दरअसल, दौसा जिले में महुआ विधानसभा में निर्दलीय ओम प्रकाश हुडला, भरतपुर में आरएलडी के सुभाष गर्ग, भरतपुर के नगर में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए वाजिब अली, नदबई विधानसभा में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए जोगिंदर अवाना और सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा हैं. ऐसे में इन 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव में टिकट वितरण कांग्रेस कार्यकर्ता और कांग्रेस के नेताओं को देखते हुए दिया जाए और कोई विवाद खड़ा ना हो इसे लेकर चर्चा हुई.

गोविंद सिंह डोटासरा

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सबसे पहले दौसा जिले के विधायकों और प्रभारियों के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बैठक की. इस बैठक में महुआ विधानसभा में चल रहा टिकट वितरण का विवाद खुलकर सामने आ गया. जब इस बैठक में दौसा के पूर्व जिला प्रमुख रहे अजीत सिंह महुआ ने टिकट वितरण के साजा फार्मूले को नकारते हुए कहा कि महुआ में न तो निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला के अनुसार टिकट दिया जाए न हीं कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ें. अजय बोहरा के कहने पर उन्होंने कहा की पार्टी के कहने पर उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा तो अब उनके अनुसार ही टिकट वितरण होने चाहिए. इसके बाद बीच बचाव करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अजीत सिंह से अलग से चर्चा की.

बैठक में शामिल नहीं हुए विश्वेंद्र सिंह

बैठक में भरतपुर की मीटिंग पर हर किसी की नजर थी कि क्या पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह इस बैठक में शामिल होंगे. लेकिन, विश्वेंद्र सिंह बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके साथ ही भरतपुर में तीन विधायक ऐसे हैं जो कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़कर नहीं आए, लेकिन अब कांग्रेस के साथ हैं. इनमें भरतपुर से आरएलडी के सुभाष गर्ग, नगर से बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए वाजिब अली और नदबई से बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए जोगिंदर अवाना हैं.

वहीं, बैठक के बाद भरतपुर के प्रभारी वेद सोलंकी ने कहा कि जो पैनल बनाकर हम लोग लाए थे उसके बारे में प्रदेश अध्यक्ष से चर्चा हुई है, जिसमें इस बात पर भी चर्चा हुई है कि इन तीनों विधानसभाओं में जो कैंडिडेट कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जिन लोगों ने बाद में कांग्रेस ज्वाइन कर ली उनमें आपस में तालमेल कैसे बने. आज भी बैठक में प्रदेश अध्यक्ष के सामने सभी नेताओं में सर्वसम्मति से बात हुई है कि टिकट वितरण में कांग्रेस के प्रत्याशियों कि राय ली जाएगी.

कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े प्रत्याशियों की राय लेने को तो कहा ही, इसके साथ ही उन्होंने कहा की टिकट कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही दिए जाएंगे.

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डोटासरा ने इसके साथ ही अपने प्रभारियों, विधायकों और अन्य नेताओं को साफ कहा कि प्रत्याशी चयन में सबसे पहले यह देखा जाए कि कौन प्रत्याशी कांग्रेस के प्रति लॉयल है, क्योंकि पहले भी ऐसा हुआ है कि प्रत्याशी कांग्रेस से टिकट ले लेते हैं और चुनाव जीतने के बाद पाला बदल लेते हैं. ऐसे में कांग्रेस के प्रति लॉयल नेताओं को ही टिकट दिया जाए. डोटासरा ने कहा की इन 6 जिलों के पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपनी एकजुटता और सरकार के कामों के चलते चुनाव जीतेगी.

भरतपुर के नगर विधानसभा से बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली ने यह स्वीकार किया कि टिकट वितरण को लेकर कुछ विवाद है, लेकिन वह विवाद एक से ज्यादा प्रत्याशी होने के चलते है. वाजिब अली ने कहा की अब जिताऊ कार्यकर्ता को टिकट दिया जाएगा, क्योंकि जो लोग हमारे साथ कांग्रेस में शामिल हुए वह भी अब कांग्रेसी हैं और जो पहले से कांग्रेस में है वह भी कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं.

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