जयपुर. प्रदेश की खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 362 बच्चों के कुपोषित और अतिकुपोषित, कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त 75 ग्राम का पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है. यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश ने शुक्रवार को विधानसभा में दी. ममता भूपेस ने बताया कि कुपोषित बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रति बच्चा अतिरिक्त 75 ग्राम पोषाहार उपलब्ध करवाया जाता है.
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश ने प्रश्नकाल में विधायक दयाराम परमार द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 362 बच्चों के कुपोषण होने की पहचान की गई है. इनमें से कुछ बच्चों को शिविर के माध्यम से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मदद लेकर उपचारित किया गया और 20 बच्चों को आगे अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया.
इसके साथ कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्ति के लिए भारत सरकार की गाइड लांइस के आधार पर राज्य सरकार प्रति बच्चा अतिरिक्त 75 ग्राम अलग पोषाहार उपलब्ध करवाती है. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के आधार पर दुबले बच्चों को ही कुपोषित माना जाता है और नाटापन कुपोषण की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि यह आनुवांशिक भी हो सकता है. सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार की पूर्ति लगातार जारी है. पोषाहार में पोषक तत्वों की जांच लगातार की जाती है.
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अभी हाल ही में राज्य में 19 फरवरी को सभी जिला कलेक्टरों के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्रों से बच्चों को वितरित किए जाने वाले फूड पैकेट मंगवाये गए थे और उन्हें प्रयोगशाला में भिजवाया गया है. जिस भी स्वयंसेवी संस्था के द्वारा पोषाहार के खाने में पोषक तत्वों की कमी पाई जाएगी. उसके खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा.
इससे पहले श्रीमती भूपेश ने विधायक दयाराम परमार के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि समेकित बाल विकास सेवाऎ योजनान्तर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती/ धात्री महिलाओं और 11 से 14 वर्ष की स्कूल नहीं जाने वाली किशोरी बालिकाओं को पूरक पोषाहार दिए जाने का प्रावधान है. पूरक पोषाहार की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर गठित महिला स्वयं सहायता समूहों से प्राप्त कर आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वितरण किया जाता है.
उन्होंने विधान सभा क्षेत्र खेरवाड़ा के गांवों में कुपोषण के विभिन्न रूपों- कम वजन, दुबलापन, नाटापन के आधार पर पाए गए बालक और बालिकाओं का परियोजनावार विवरण सदन के पटल पर रखा. उन्होंने कहा कि ग्रामवार बालकों की संख्या अत्यधिक विस्तृत होने के कारण संबंधित विधायक को पृथक से अवगत करा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि उक्त विधान सभा क्षेत्र में पाए गए कुपोषित बच्चों में अभिभावकों के द्वारा पोषक तत्वों, भोजन नहीं दिया जाना, प्रथम 6 माह तक बच्चों को समुचित रूप से मां का दूध नहीं पिलाया जाना और पोषण के प्रति जागरूकता की कमी इसका कारण रहे हैं.
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भूपेश ने कहा कि कुपोषण की रोकथाम के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों को पूरक पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है. चिकित्सा विभाग की सहायता से स्वास्थ्य जांच और कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूकता लाने का कार्य भी किया जाता है. महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग उदयपुर द्वारा खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांवों में नवाचार के तहत कुपोषित/अतिकुपोषित बच्चों के उपचार हेतु 15 दिवसीय उपचार और जागरूकता शिविर लगाकर 362 बच्चों को उपचारित किया गया है.