जयपुर. राजस्थान में शिक्षा विभाग में तबादलों के दौर के दौर के साथ तबादला नीति पर भी बहस तेज हो गई है. इसके साथ ही स्कूल व्याख्याता और शिक्षक ग्रेड-2 की तबादला सूचियां जारी होने के बाद अब शिक्षक ग्रेड-3, प्रबोधक, शारीरिक शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक और पुस्तकालयाध्यक्ष के तबादलों के लिए भी ऑनलाइन आवेदन चल रहे हैं. तबादलों को लेकर राजस्थान में सियासत और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.
एक तरफ चूरू विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे रफीक मंडेलिया का शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को लिखा एक पत्र वायरल हो रहा है. तो दूसरी तरफ शिक्षक संगठनों ने तबादला नीति बनाने और इसे लागू कर इसी के आधार पर तबादले करने की मांग तेज कर दी है. शिक्षकों के लिए तबादला नीति कांग्रेस का चुनावी मुद्दा था. लेकिन सरकार में आने के बाद कांग्रेस ने इसे लेकर कोई खास कवायद नहीं की. पिछले दिनों स्कूल व्याख्याता और शिक्षक ग्रेड-2 के तबादलों में मनमर्जी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रदेशाध्यक्ष महावीर सिहाग का कहना है कि तबादलों की प्रक्रिया शुरू कर सरकार ने शिक्षकों के स्थानांतरण करने शुरू कर दिए हैं. लेकिन स्थानांतरण नीति लागू नहीं की है. जबकि उनके संगठन लंबे समय से तबादला नीति लागू करने की मांग कर रहा है. उनका कहना है कि सरकार ने तबादला नीति लागू करने का वादा किया था. शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने इस बारे में कई बार आश्वासन दिया है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान के सभी शिक्षक तबादला नीति चाहते हैं. शिक्षक संघ शेखावत भी शिक्षकों की इस मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है. यह आम चर्चा है कि शिक्षकों के तबादले के लिए दो लाख रुपए लिए गए हैं. यह सब किसके माध्यम से और कैसे हुआ. यह अलग बात है और सरकार के लिए जांच का मुद्दा है. लेकिन हकीकत यह है कि तबादलों के लिए शिक्षकों ने रुपए दिए हैं.