जयपुर.अन्य सेवा से आईएएस में प्रमोशन के मामले पर राज्य की ब्यूरोक्रेसी में घमासान मचा हुआ है. राज्य की प्रशासनिक सेवा यानि आरएएस एसोसिएशन ने प्रमोशन के खिलाफ विवाद बढ़ता देख अब एसोसिएशन कोर्ट का दरवाजा खटखाने की तैयारी कर दी है. एसोसिएशन ने उन अधिकारियों के नामों पर भी सवाल उठाये, जिन्हें पहले रिजेक्ट किया जा चुका है.
अन्य सेवाओं के अफसरों को आईएएस बनाने का मामला इसके साथ ही दागी अफसरों को लेकर तो एसोसिएशन पहले ही खुला ज्ञापन दे चुकी हैं. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रमोशन के लिए आवेदन करने वाले पांच अफसरों के खिलाफ केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय संघ लोक सेवा आयोग मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव कार्मिक से शिकायत की है. इसमें इन अफसरों की कार्यशैली और अनियमितताओं को लेकर भी आरोप लगाए गए. एसोसिएशन ने इस मामले में केंद्र से दखल देने और पूरे सच को जानने के बाद ही किसी अफसर को प्रमोट करने की मांग की है.
आरएएस एसोसिएशन ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि कार्मिक विभाग गलत तथ्यों को प्रमोट करता है, जिसका केंद्र सत्यापन करे. पिछली वसुंधरा सरकार के समय में भी आरएएस एसोसिएशन ने अन्य सेवा से आईएएस बनाने का विरोध किया था. पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया और पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत भी विरोध कर चुके थे. वर्तमान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी अन्य सेवा से प्रमोशन देने के खिलाफ हैं.
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लेकिन इतने विरोध के बावजूद भी पिछली वसुंधरा सरकार और गहलोत सरकार ने अन्य सेवा से आईएएस अफसरों को प्रमोशन देने का सिलसिला जारी रखा है. आरएएस एसोसिएशन के महासचिव सुनील भाटी का कहना है कि हम प्राकृतिक न्याय की मांग कर रहे हैं. जूनियर अफसरों को प्रमोशन देना नियमों के खिलाफ है. जूनियर अफसर जिसकी एसीआर हमने भरी है. वह हमारा अधिकारी कैसे बन सकता है. सरकार नहीं सुनती है तो हम कैट के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
आइए, अब आपको बताते हैं कि RAS एसोसिएशन को इन अफसरों को प्रमोशन देने पर आपत्ति है...
डॉ. घनश्याम बैरवा-चिकित्सा विभाग में तैनात है. एक मंत्री के पति हैं. ऐसे में संभावना है कि अपनी पत्नी के मंत्री होने का लाभ उठाकर उन्हें आईएएस बनाया जा सकता है.
डॉ. आर एस राणावत-चिकित्सा विभाग में सेवाएं दे रहे हैं. एसएमएस में वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं.
गोविंद पारीक-डीपीआर में है, सीएम निशुल्क जांच योजना में विज्ञापन देने के लिए अनियमित भुगतान किया. इस तथ्य को छुपाकर प्रमोशन के लिए नाम भेजा गया है.
सुरेंद्र सिंह राठौड़-ग्रामीण विकास विभाग में तैनात हैं. राठौड़ के राज्य सेवा में नियुक्ति की वैधता का परीक्षण मुख्यमंत्री के निर्देशों पर आदेश अनुसार विभाग करवा रहा है.
संजय पांडे-पर्यटन विभाग में हैं, कर्मचारियों से दुर्व्यवहार को लेकर पिछले साल तत्कालीन विशिष्ट सचिव निदेशक पर्यटन विभाग द्वारा नोटिस दिया गया है.
RAS एसोसिएशन के महासचिव सुनील भाटी का कहना है कि ऐसी कोई परिस्थिति ही नहीं कि अन्य सेवा के अफसर को आईएएस बनाया जाए. राजस्थान में ऐसे कोई विशेष परिस्थिति पैदा नहीं हुई है, जिसके तहत राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसरों को छोड़कर अन्य सेवा के अफसरों को आईएएस में पद दिया जाए. राजस्थान कार्मिक विभाग की ओर से गलत तथ्यों के साथ अन्य सेवा के अफसरों को आईएएस में प्रमोट कर दिया जाता है, जिसका केंद्र की ओर से सत्यापन किया जाना चाहिए.
राज्य सरकार की ओर से नियम विरूद्ध प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, जिसमें चहेते अफसरों का चयन कराने के लिए गंभीर अनियमितताएं बरती जा रही है. आईएएस में प्रमोशन के लिए जो नाम भेजे गए हैं, उनके बारे में उल्लेख करते हुए मांग की गई है कि इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाए. इतना ही नहीं सरकार उन अन्य सेवाओं के अफसरों को भी प्रमोट कर रही है, जिन्हें पूर्व में रिजेक्ट किया जा चुका है. इनमें दस से बारह अफसर हैं, जबकि नियम कहता है कि अगर किसी अफसर को एक बार रिजेक्ट किया जा चुका है तो उसे दोबारा मौका नहीं दिया जा सकता.
ये हैं वो अफसर जिन्हें पूर्व में रिजेक्ट किया जा चूका है...
- ओमप्रकाश बैरवा- साल 2012, 2016 और 2017 में रिजेक्ट किया गया
- रामकरण आमेरिया- साल 2011, 2012 और 2018 में रिजेक्ट किया गया.
- संजय पाण्डे- 2016 और 2017 में रिजेक्ट किया गया.
- आशुतोष एम देशपांडे- साल 2011 में रिजेक्ट किया गया.
- सुनीत राणावत- साल 2017 में रिजेक्ट किया गया.
- शरद मेहरा- साल 2018 में रिजेक्ट किया गया.
- गोविन्द पारीक- साल 2018 में रिजेक्ट किया गया.
- सोमेंद्र शर्मा- साल 2018 में रिजेक्ट किया गया.
- सीताराम जाट- साल 2017 में रिजेक्ट किया गया.
- ओकार सिंह आशिया- साल 2016 में रिजेक्ट किया गया.
लेकिन बावजूद इसके इनके एक नहीं दो-तीन बार नाम भेजे जा रहे हैं, जो बिल्कुल नियम विरुद्ध है. राज्य में अन्य सेवा से अफसरों को आईएएस बनाने का विरोध पिछली वसुंधरा सरकार के समय से ही चलता रहा है जो गहलोत सरकार के समय में भी जारी है. लेकिन दोनों ही सरकारों ने RAS एसोसिएशन की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था. ऐसे में अब देखना है कि केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग एसोसिएशन की मांग को खारिज करता है या फिर स्वीकार करता है.