राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

शहर में संचालित स्थाई रैन बसेरों की देखरेख और संचालन में नाकाम निगम प्रशासन

बेघरों को सहारा देने के लिए जयपुर नगर निगम ने शहर में 14 आश्रय स्थल खोल रखे हैं. इनमें से सात जयपुर नगर निगम द्वारा तो 7 को टेंडर के जरिए एनजीओ को सौंपा गया. निगम प्रशासन ने करोड़ों रुपए खर्च कर शहर में स्थाई आश्रय स्थल शुरू तो किए. लेकिन इनकी देखरेख और संचालन में नगर निगम पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है.

By

Published : Oct 17, 2020, 9:28 PM IST

jaipur news, jaipur hindi news
रैन बसेरों की देखरेख में नाकाम निगम प्रशासन

जयपुर. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शुरू होने के बाद देशभर के शहरों में आश्रय स्थलों के संचालन का जिम्मा एनयूएलएल को सौंपा गया. इसी के तहत जयपुर में भी एनयूएलएल ने इन आश्रय स्थलों के संचालन का जिम्मा उठाया. निगम इन आश्रय स्थल या रैन बसेरे के संचालन का काम पंजीकृत एनजीओ के माध्यम से करता आया है. इस संबंध में नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग की मानें तो ग्रेटर और हेरिटेज में कुल 14 स्थाई रैन बसेरे संचालित हैं.

रैन बसेरों की देखरेख में नाकाम निगम प्रशासन

अस्थाई रैन बसेरे सर्दी के मौसम में चलाए जाते हैं, जो अमूमन दिसंबर से फरवरी तक रहते हैं. फिलहाल स्थाई रैन बसेरों में 215 लोग रह रहे हैं. इनमें कुछ एनजीओ तो कुछ निगम के द्वारा संचालित किए जाते हैं. हर महीने इनके संचालन पर 35 हजार से 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है. यहां ठहरने वालों को सोने के लिए बिस्तर, नजदीकी सुलभ शौचालय का उपयोग और दानदाताओं की तरफ से कई बार भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. इनमें कुछ रैन बसेरा विशेषकर महिलाओं के लिए हैं. जबकि कुछ रैन बसेरों में महिला पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है.

स्थाई रैन बसेरों की लिस्ट

निगम द्वारा संचालित आश्रय स्थलों में कोई वृद्धाश्रम है तो कोई आरोग्य आश्रय स्थल है. यही नहीं महिला और बाल बसेरा भी बनाया गया है. निगम के दावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत शहर के कुछ आश्रय स्थल पहुंचा. एसएमएस अस्पताल स्थित गांधी घर रैन बसेरे पर मौजूद कर्मचारी ने बताया कि दिन-रात रैन बसेरा लोगों के लिए संचालित रहता है. यहां सामान रखने के लिए लॉकर, सोने के लिए बिस्तर और चारपाई की भी व्यवस्था है. हालांकि इन रैन बसेरों में पहुंचने वाले लोगों का कोविड-19 के मद्देनजर तापमान मापने का कोई संसाधन मौजूद नहीं है.

पढ़ेंःEXCLUSIVE : निगम चुनाव में हाइब्रिड फार्मूले की आवश्यकता नहीं पड़ेगी: तरुण कुमार

उधर, झालाना स्थित आरोग्य आश्रय स्थल पर मरीज असहायों के लिए रहने की व्यवस्था की गई है. फिलहाल यहां 5 लोगों का ट्रीटमेंट भी चल रहा है. जबकि एक कोरोना पेशेंट को भी क्वॉरेंटाइन कर रखा है. जिनके लिए भोजन और दवाई की पर्याप्त व्यवस्था रहती है.

हालांकि ईटीवी भारत जब राजा पार्क स्थित वृद्धाश्रम और लाल कोठी स्थित आश्रय स्थल में पहुंचा. तो यहां निगम के दावों के विपरीत हालात देखने को मिले. निगम प्रशासन इन आश्रय स्थलों में तकरीबन 20 से 25 लोगों के ठहरने का दावा करता है. वहां फिलहाल ताले लगे हुए हैं. वृद्ध आश्रम को कुछ युवा कामकाजियों ने अपना ठिकाना बना रखा है तो वहीं लाल कोठी स्थित आश्रय स्थल बीते 15 दिन से बंद है. निगम ने खुद यहां इंदिरा रसोई संचालित कर रखी है.

पढ़ेंःनगर निगम चुनावः भाजपा ने की जयपुर शहर के 33 मंडलों में प्रभारियों की नियुक्ति

नगर निगम प्रशासन शहर के बेसहारा लोगों को रैन बसेरे में जगह उपलब्ध कराने में कितना कामयाब साबित हुआ है. इसका अंदाजा आश्रय स्थलों की बदहाल दशा देखकर लगाया जा सकता है. शहर के अधिकतर आश्रय स्थलों के हालात देखरेख के अभाव में बेहद खराब है. किसी में बिजली-पानी की व्यवस्था नहीं तो कहीं साफ सफाई की और कहीं सोने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले बिस्तर भी फटे हाल है. यही नहीं महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. ऐसे में नगर निगम प्रशासन भले ही स्थाई रैन बसेरे बनाकर अपनी पीठ थपथपाता हो. लेकिन हकीकत इसके उलट ही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details