जयपुर.ऐसे में महज सप्ताह भर में गायों की संख्या करीब 2200 बढ़ने को लेकर अफसरों के मन में शंका उत्पन्न हो रही हैं. सूत्रों की मानें तो 14 फरवरी के बाद से गौशाला में नया गौवंश भी कम पहुंचा है. इसके चलते निगम प्रशासन को उम्मीद है कि गौशाला प्रशासन की ओर से अधिक गौवंश बताया जा रहा है. इसी के चलते गिनती भी कराई गई थी, गिनती पूरी होने के बाद संख्या घटने के बजाय बढ़ गई.
सूत्रों की मानें तो गौशाला का भुगतान रोकने के पीछे भी नगर निगम की मंशा यही थी. पहले गौवंश में गायों की गिनती की जाए और फिर भुगतान किया जाएगा. इस कार्य में नगर निगम की 12 टीमों को 2 दिन का समय लगा. पशु प्रबंधन से जुड़े अधिकारी भी इस बात को मानते हैं कि गायों की गिनती के तरीके में गड़बड़ी होने की संभावना है. कई जानवरों की गणना दो बार हो जाती है. वहीं खुले में घूमने वाले पशुओं की गिनती करना भी बहुत कम संभव हो पाता है.जबकि गौशाला चेयरमैन नारायण नैनावत ने गायों की गिनती को सही ठहराया है. हालांकि वे इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि गौवंश की सटीक गिनती के लिए गायों पर टैग क्यों नहीं लगाया गया. बिना टैग की व्यवस्था किए आनन-फानन में गाय गिनने की अचानक जरूरत क्यों आई. नैनावत में सिर्फ इतना ही कहा कि नगर निगम, पशु पालन और अक्षय पात्र ट्रस्ट के लोगों की मौजूदगी में गायों की गिनती की गई है. हालांकि इस बारे में कोई जवाब नहीं दे सके कि रात के समय में गायों के बाड़े बदले नहीं गए.