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SPECIAL : लॉकडाउन नियमों को लेकर जनता में अब भी भ्रम, जागरूकता की है आवश्यकता

प्रदेश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए शुरुआत में लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन 2 महीने लॉकडाउन रहने के बाद धीरे-धीरे सारी गतिविधियों को खोल दिया गया है. अनलॉक-3 में आवश्यक सामानों के अलावा गैर जरूरी सामानों की दुकानें भी खोल दी गई. इस दौरान सरकार की ओर से जो नियम बनाए गए, उन्हें लेकर जनता में भ्रम की स्थिति है. लोगों को कई तरह की परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है.

Confusion among people regarding rules of lockdown, Jaipur News
लॉकडाउन नियमों को लेकर जनता में अब भी भ्रम

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Published : Aug 12, 2020, 10:00 PM IST

जयपुर. पूरे देश सहित प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है. इस संक्रमण को रोकने के लिए शुरूआत में लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन 2 महीने लॉकडाउन रहने के बाद धीरे-धीरे सारी गतिविधियों को खोल दिया गया है. वर्तमान समय में देश में अनलॉक 3.0 देश में जारी है.

लॉकडाउन नियमों को लेकर जनता में अब भी भ्रम

लॉकडाउन के दौरान आवश्यक समान की दुकानों के अलावा अन्य सभी दुकानें बंद रहीं, लेकिन अनलॉक-1, अनलॉक-2 और अनलॉक-3 में आवश्यक सामानों के अलावा गैर जरूरी सामानों की दुकानें भी खोल दी गई. इस दौरान सरकार और जिला प्रशासन की ओर से जो नियम बनाए गए, उन्हें लेकर जनता में भ्रम की स्थिति भी रही. लोगों को कई तरह की परेशानी का भी सामना करना पड़ा.

सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं हो रही पालना

यहां अभी भी है भ्रम की स्थिति...

सरकारी दफ्तरों, बाजारों और यातायात के साधनों सहित कई जगह ऐसी हैं, जहां लोगों में लॉकडाउन के नियमों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. हालांकि सरकार की ओर से पूरी गाइडलाइन जारी कर दी गई है, लेकिन लोगों में गाइडलाइन को लेकर जागरूकता की कमी है और उन्हें पूरे नियमों के बारे में जानकारी नहीं है.

लोग नियमों का नहीं कर रहे पालना

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गाइडलाइन के मुताबिक यदि किसी जगह कोई कोरोना मरीज सामने आता है तो उस स्थान को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया जाता है. इस कंटेनमेंट जोन में किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं होती है. इसके बावजूद भी लोग अपने घरों से बाहर निकल जाते हैं. कंटेनमेंट जोन से बाहर जाने और वहां आने पर पूरी तरह से पाबंदी रहती है, इसलिए वहां पुलिस की व्यवस्था की जाती है.

लॉकडाउन का समय

ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पूजा स्थल, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे आदि जगहों पर 50 लोगों का आना-जाना रहता था, उन्हें भी खोला गया है. लेकिन देखा जा रहा है कि मंदिर में आने वाले भक्त नियमों की पालन नहीं करते हैं, मास्क नहीं लगाते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग की भी पालना नहीं करते हैं.

आवाजाही पर नहीं है प्रतिबंध

ऐसे ही हालात शहर के बाजारों के भी दिखाई देते हैं...

अनलॉक के बाद शहर के बाजारों में भी लोग गाइडलाइन की पालना नहीं कर रहे हैं. आमतौर पर छोटी दुकानों में एक समय में 2 से अधिक और बड़ी दुकानों पर 5 से अधिक ग्राहकों की उपस्थिति पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इसके बावजूद भी शहर की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ दिखाई देती है. इस दौरान लोग सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं करते हैं.

पुलिस का सख्ती

सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में दुकानदारों के लिए भी मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर का उपयोग आदि नियम बना रखे हैं, लेकिन कई दुकानदार दुकान पर बैठने के बावजूद भी ना तो मास्क लगाते हैं और ना ही सैनिटाइजर का उपयोग करते हैं. वहीं, मास्क नहीं पहनने पर दुकानदारों के चालान भी काटे गए हैं.

लोग सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं कर रहे पालना

यातायात के साधनों में भी भ्रम की स्थिति...

लॉकडाउन के लिए बने नियमों की भ्रम की स्थिति यातायात के साधनों को लेकर भी बनी रहती है. लोगों में इस बात की जानकारी कम दिखाई देती है कि उन्हें यात्रा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. हालांकि बसों में यात्रा से पहले और बाद में बस को सैनिटाइज करना जरूरी होता है, लेकिन बस में बैठने के बाद लोग सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं करते हैं.

इसी तरह से विवाह संबंधी आयोजनों को लेकर भी नियम बनाए गए थे. इन नियमों को लेकर भी लोगों में जागरूकता की कमी दिखाई दी. विवाह से पहले उपखंड मजिस्ट्रेट को सूचना देनी आवश्यक होती है और कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना भी जरूरी होता है. साथ ही अधिकतम 50 मेहमानों से अधिक विवाह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है.

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जयपुर शहर में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले जहां लोगों ने विवाह की पूर्व सूचना नहीं दी. सोशल डिस्टेंसिंग की भी पालना नहीं की और 50 से अधिक मेहमानों को शादी समारोह में बुलाया गया. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से पुलिस को मौके पर भेजा जाता है, लेकिन पुलिस के इधर-उधर होने पर नियमों की पूर्ण तरह अवहेलना की जाती है. लोगों को यह भी जानकारी नहीं है कि विभाग की पूर्व सूचना कहां और किस व्यक्ति को देनी है.

इसकी भी उचित मॉनिटरिंग

लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक स्थानों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इन नियमों के तहत सार्वजनिक कार्य स्थलों और सार्वजनिक परिवहन के दौरान चेहरे पर फेस कवर पहनना अनिवार्य है, सामाजिक दूरी की पालना, सार्वजनिक और कार्यस्थल पर थूकने पर पाबंदी है और इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

सार्वजनिक स्थानों पर शराब, पान, गुटखा, तंबाकू आदि का सेवन करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है और इसके लिए भी जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन जयपुर शहर में कई ऐसे स्थान हैं जहां लोग इसको लेकर जागरूक तो हैं, लेकिन पालना नहीं कर पा रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में लोग समूह में खड़े होकर चर्चा करते हैं, कई ऐसे लोग हैं जो मास्क भी नहीं लगाते. हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे लोगों की संख्या कम है.

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सरकार ने अपनी गाइडलाइन में कार्य स्थलों को लेकर भी नियम बनाए हैं. सरकार ने अपनी गाइडलाइन में कहा है कि जहां तक संभव हो घर से काम करने की विधि की पालना की जाए. दुकानों, बाजारों और औद्योगिक वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में काम के घंटों में अंतराल लिया जाए. सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं और कॉमन स्थानों पर थर्मल स्कैनिंग, हैंड वॉश और सैनिटाइजर का प्रबंध किया जाए. इस नियम को लेकर भी लोगों में भ्रम है. कई दफ्तरों में सैनिटाइजर को लेकर व्यवस्था नहीं है, इसलिए वहां आने वाले लोग सैनिटाइजर से हाथ साफ नहीं कर सकते हैं.

यह वह नियम है जिसकी पालन पूरी तरह से नहीं की जा रही है...

काम करने वाले लोग भी इस नियम को लेकर जागरूक नहीं है. मजदूरों के बीच सामाजिक दूरी की पालना करवाना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन काम करते समय मजदूर खुद इन नियमों की पालना करना भूल जाते हैं.

सभी नियोजनकर्ता अपने कर्मचारियों को सार्वजनिक स्थानों में स्वयं की सुरक्षा के लिए मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु एप के उपयोग करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने का नियम भी गाइडलाइन में है, लेकिन अधिकतर लोगों के मोबाइल में यह एप इंस्टॉल नहीं है.

निकलने पर है पाबंदी, फिर भी निकल रहे बाहर

65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों और पुराने रोगों से पीड़ित लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी है. गाइडलाइन के अनुसार अति आवश्यक होने पर ही उन्हें बाहर जाना चाहिए, लेकिन बाजारों में अक्सर देखा जाता है कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग भी बाजार में घूम रहे हैं और प्रशासन की ओर से इस पर कोई सख्ती भी नहीं है. उनके परिवार के लोग भी इस नियम को लेकर भ्रम की स्थिति में है. इसके कारण बुजुर्ग लोगों को बाहर निकलने से नहीं रोक पा रहे.

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लॉकडाउन में कई बार पास बनवाना जरूरी किया गया और पास बनवाने को लेकर लोगों में सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति देखी गई. शुरुआत में प्रदेश में 1 जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए भी पास बनवाना जरूरी था और इसके लिए जिला प्रशासन को अधिकृत किया गया था. लोग इस बात को लेकर भ्रम में थे कि पास कैसे और किससे बनवाना है. इसके लिए प्रशासन की ओर से लोगों को जागरूक भी नहीं किया गया. इसके चलते जिला कलेक्ट्रेट में पास बनाने वालों की भीड़ देखी गई.

वहीं, कई बार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को भी बुलाना पड़ा और सिविल डिफेंस वॉलेंटियर लगाए गए, तब जाकर भीड़ नियंत्रित हो सका. कई जगह पास बनवाने के लिए दलाल भी सक्रिय हो गए.

इन पर नहीं है कोई प्रतिबंध

अनलॉक-3 में व्यक्ति और वस्तुओं के अंतरराज्यीय और राज्य के अंदर आवागमन पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है. निर्धारित सुरक्षा सावधानियों की शर्तों के अनुसार बस, टैक्सी, कैब संचालक, ऑटो रिक्शा, साइकिल रिक्शा आदि का संचालन भी किया जा सकता है. किसी भी वाहन से यात्रा कर रहे सवारियों की संख्या पंजीकृत वाहन की संयुक्त बैठक क्षमता से अधिक नहीं होगी.

लॉकडाउन नियमों को लेकर जनता में अभी भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है. कोरोना का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है और एहतियात के तौर पर इसका बचाव करना आवश्यक है. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है.

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