जयपुर. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ट्वीट कर कहा कि पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेसर्ट का उपयोग राज्य के सरकारी अस्पतालों में नहीं किया जा रहा. प्रदेश में वेंटिलेटर या तो कबाड़ खाने में पडें हैं या सरकार ने उन्हें निजी अस्पतालों को किराए पर दे दिए हैं. ऐसा करने के बाद सीनाजोरी भी हो रही है कि वेंटिलेटर किराए पर ही दिए हैं फोकट में नहीं.
राठौड़ ने कहा कि जिन वेंटिलेटर्स से गरीब की जान बच सकती थी, उन्हें गहलोत सरकार ने किराए पर दे दिए. गरीब आदमी को उन्हीं निजी अस्पतालों में इलाज के लिए प्रतिदिन 50 हजार रूपये देने पड़ रहें हैं. राज्य सरकार के घमंड में गरीब पिस रहा है.
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राठौड़ ने कहा कि अब जब कोई मरीज अस्पताल जाता है तो अस्पताल उसे ऑक्सीजन सिलेण्डर की व्यवस्था करने के लिए कहते हैं. एक गरीब व्यक्ति ऑक्सीजन सिलेण्डरों का इंतजाम कहां से करेगा, यह जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार पर्याप्त मात्र में ऑक्सीजन आवंटित कर रही है. लेकिन राज्य सरकार के पास उसे लाने की क्षमता ही नहीं है. राज्य सरकार के पास ऑक्सीजन लाने के लिए मात्र 23 टैंकर हैं. यह बहुत कम है. राज्य सरकार तो सिर्फ गरीबों से पैसा निकालने में लगी है.
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ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में मरीजों के उपचार के लिए पीएम रिलीफ फंड से 40 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए थे. लेकिन स्थानीय प्रशासन और अस्पताल प्रशासन ने इनमें से 10 वेंटिलेटर 2000 हजार रूपए प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर जिंदल अस्पताल (निजी अस्पताल) को उपलब्ध करा दिए. आरोप लगा कि जिंदल अस्पताल में इन्हीं वेंटिलेटर के जरिए कोरोना मरीजों से लाखों रुपए की कमाई की जा रही थी. जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने बयान भी दिया कि वेंटिलेटर आरबीएम अस्पताल में उपयोग में नहीं आ पा रहे थे, इसलिए निजी अस्पताल को उपलब्ध करा दिए. इसी बाबत मंत्री खाचरियावास से सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर किराए पर ही दिए हैं, फोकट में नहीं. वेंटिलेटर मामले और मंत्री के इस बयान पर अब सियासत गर्म है.