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निजी स्कूलों ने फीस के लिए डाला दबाव तो निरस्त की जा सकती है मान्यताः CM गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण कोई अभिभावक आर्थिक स्थिति के चलते फीस जमा नहीं करा पाता है, तो निजी स्कूल ऐसे विद्यार्थी का नाम नहीं काटे. यदि कोई स्कूल ऐसा करता है तो राज्य सरकार उसकी मान्यता निरस्त कर सकती है.

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सीएम गहलोत ने की वीडियो कांफ्रेंस

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Published : May 8, 2020, 8:14 PM IST

जयपुर.सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए स्कूल शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े विषयों पर समीक्षा कर जरूरी निर्देश दिए. मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, स्कूल शिक्षा सचिव मंजू राजपाल, कॉलेज शिक्षा आयुक्त प्रदीप बोरड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. डीपी जारौली ने भी कांफ्रेंस में मौजूद रहे.

अशोक गहलोत ने बैठक में कहा है कि अगर कोई विद्यार्थी फीस पटाने में असमर्थ है तो उसका नाम स्कूल नहीं काटेंगे. शिक्षा विभाग इस बात का भी परीक्षण कराए कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को फीस और अन्य शुल्कों में किस प्रकार राहत दे सकते हैं और उन विद्यालयों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो.

सीबीएसई के अनुरूप लेंगे बोर्ड परीक्षाओं पर निर्णय

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं कक्षाओं की बाकी परीक्षाएं फिलहाल स्थगित रहेंगी. बाद में सीबीएसई के निर्णय के अनुरूप फैसला किया जाएगा, ताकि दोनों बोर्ड की परीक्षाओं में एकरूपता बनी रहे और प्रदेश के विद्यार्थियों का अहित न हो. इसी प्रकार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में भी परीक्षाओं का आयोजन स्थितियां सामान्य होने पर करवाया जा सकेगा.

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मिड-डे मील का हो पारदर्शी वितरण

शिक्षा विभाग ग्रीष्मावकाश में बच्चों को मिड-डे मील के लिए उचित व्यवस्थाएं करें. लॉकडाउन के कारण बच्चों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना संभव नहीं है. ऐसे में अभिभावकों को सूखी राशन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाएं.

मेरिट, काउंसलिंग से होगी प्रथम नियुक्ति

मुख्यमंत्री ने लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती परीक्षा-2018 के अभ्यर्थियों को जिला एवं विभागों का आवंटन पुनः नई प्रक्रिया से करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सभी विभागों को मेरिट के आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुरूप चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराएं. उसके बाद संबंधित विभाग मेरिट और काउंसलिंग के आधार पर उन्हें जिला आवंटित करे. मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि भविष्य में सभी भर्तियों में प्रथम नियुक्ति सभी विभागों में मेरिट, काउंसलिंग के आधार पर ही दी जाए.

आरटीई की आय सीमा फिर से ढाई लाख होगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के समय गरीब वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाया गया था. विगत कुछ सालों में इस कानून की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कानून की पारदर्शिता के साथअभिभावकों की आय सीमा को एक लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए किया जाए, ताकि आरटीई के जरिए गरीब बच्चों को बड़े नामी निजी स्कूलों में भी पढ़ने का अवसर मिले.

अनुपयोगी स्कूल भवनों का हो उपयोग

पिछली सरकार के समय एकीकरण के नाम पर बड़ी संख्या में बंद किए गए स्कूलों के विद्यालय भवनों को अनुपयोगी होने पर फिर से विद्यालयों को खोलने के साथ-साथ जरूरत होने पर पंचायत, उप केन्द्र और सामुदायिक केन्द्रों के रूप में भी किया जा सकता है. प्रदेश में जिन महाविद्यालयों के भवनों का निर्माण नहीं हुआ है. उनके लिए भी योजना बनाकर देने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए.

रिपोर्ट के जरिए होगा परीक्षाओं का निर्णय

बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि विभाग में सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति के लिए नियमों में संशोधन कर इसे तर्कसंगत बनाया जा रहा है. साथ ही वरिष्ठ अध्यापक के चयनितों को जल्द नियुक्ति देने के प्रयास किए जा रहे हैं. उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षाओं को लेकर उचित निर्णय लिया जाएगा, ताकि नया सत्र एक जून से प्रारंभ किया जा सके.

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सिलेबस में किया गया है बदलाव

तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया ​कि पॉलीटेक्निक कॉलेजों के सिलेबस को आधुनिक शिक्षा के अनुरूप बदला गया है. जिससे इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्लेसमेंट प्राप्त करने में आसानी होगी.

तकनीकी शिक्षा सचिव शुचि शर्मा ने बताया कि महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत के अनुसार उच्च शिक्षा में आनन्दम कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है. इससे विद्यार्थियों में सामुदायिक सेवा की भावना विकसित होगी और वे प्रोफेशनलिज्म के साथ-साथ समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझ सकेंगे.

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