जयपुर.राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में चल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच शीत युद्ध पर हर किसी की नजर होती है. पार्टी का कोई भी काम हो, दोनों नेता एक-दूसरे पर भारी पड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस बार सदस्यता के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके कैंप के मंत्री विधायकों ने सचिन पायलट और उनके कैंप के मंत्री विधायकों को काफी पीछे छोड़ दिया है.
आपको बता दें कि पायलट मेंबर बनाने में गहलोत से पिछड़ गए हैं. पायलट ने 10481 सदस्य बनाए और उनकी रैंकिंग 59 है. जबकि गहलोत ने 30287 मेंबर बनाए हैं जिनकी रैंकिंग 11 है. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 36,892 मेंबर बना सातवां स्थान प्राप्त किया है. पायलट कैंप की बात करें तो मंत्री मुरारी लाल मीणा और विधायक सुरेश मोदी ही टॉप 20 में अपना स्थान बना सके. ऐसे में मेंबर बनाने की लड़ाई में गहलोत पायलट पर भारी पड़े हैं. हालांकि गहलोत के कैंप के एक दर्जन से ज्यादा विधायक ऐसे हैं जो मेंबरशिप अभियान में फिसड्डी साबित हुए हैं.
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करीब 19 लाख मेंबर बने लेकिन 50 लाख के लक्ष्य से रहे काफी पीछे: पूरे देश समेत राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का सदस्यता अभियान समाप्त हो चुका है और क्योंकि इस बार पार्टी ने अपनी मेंबरशिप डिजिटल तरीके से करने का निर्णय लिया था, ऐसे में राजस्थान में भी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा डिजिटल मेंबर बनाने का लक्ष्य दिया गया था. हालांकि राजस्थान कांग्रेस की ओर से पहले 50 लाख डिजिटल मेंबर बनाने का दावा किया गया था, लेकिन सदस्यता अभियान के अंतिम दिन 15 अप्रैल तक पार्टी ने 1870703 डिजिटल मेंबर बनाए, जो लक्ष्य से काफी पीछे (Performance of Rajasthan in Congress Digital Membership campaign) हैं.
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हालांकि अब पार्टी का दावा है कि ऑफलाइन मेंबर्स को जोड़कर यह संख्या 35 लाख के आसपास पहुंच जाएगी. आपको बता दें कि राजस्थान में लक्ष्य से पीछे रहने का प्रमुख कारण कांग्रेस के वह विधायक रहे हैं जिन्होंने सदस्यता अभियान में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. तो वहीं निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के क्षेत्र में भी कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है. इन सबके बीच सवाल यह भी खड़ा होता है कि सचिन पायलट कैंप से आने वाले मंत्रियों-विधायकों का सदस्यता अभियान में क्या योगदान रहा.