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पायलट कैंप के दबाव का CM गहलोत के पास है जवाब, इसलिए अटका है मंत्रिमंडल में फेरबदल

प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच बदली हुई परिस्थितियों में मंत्रिमडल फेरबदल को लेकर इंतजार और लंबा हो सकता है. ये बात किसी से छुपी नहीं है कि राजस्थान में गहलोत-पायलट (Gehlot Vs Pilot) गुट के विधायक एक दूसरे पर भारी पड़ने की रेस में लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन 'जादूगर' के पास हर राजनीतिक चक्रव्यूह का तोड़ और जवाब मौजूद है. पहले सीएम गहलोत के एक-दो महीने तक किसी से नहीं मिलने की बात और अब पंचायत चुनाव का नया पेंच. ऐसे में पायलट कैंप (Pilot Camp) के दबाव के बावजूद मंत्रिमडल फेरबदल और विस्तार फिर से अटकने की संभावना जताई जा रही है.

Gehlot Vs Pilot
पायलट कैंप के दबाव का CM गहलोत के पास है जवाब

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Published : Jun 16, 2021, 1:42 PM IST

जयपुर.प्रदेश में अब शेष रहे 12 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव होना तय माना जा रहा है. संभवत: आयोग जुलाई के अंत या अगस्त महीने के प्रारंभ में चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल और लंबा हो सकता है. मतलब साफ है, एक ओर दो महीने सीएम अशोक गहलोत ने Post-Covid Repercussions के चलते किसी से मुलाकात नहीं करने की बात कह कर जून-जुलाई के मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों पर विराम लगा दिया तो अब आयोग की ओर से मिल रहे संकेतों ने मंत्रिमंडल फेरबदल को जुलाई-अगस्त से भी आगे धकेल दिया है.

दरअसल, राजस्थान में इन दिनों गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है, लेकिन मंत्री बनने का सपना संजोए विधायकों का यह इंतजार लंबा होता जा रहा है. एक ओर दो महीने सीएम अशोक गहलोत Post-Covid Repercussions के चलते किसी से मुलाकात नहीं करने की बात कह कर जून-जुलाई के मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों पर विराम लगा दिया तो वहीं दूसरी ओर राज्य निर्वाचन आयोग ने 12 जिलों में पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.

इसलिए अटका है मंत्रिमंडल में फेरबदल...

राज्य के ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग की चिट्ठी के बाद प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को 25 जून तक पुनः आरक्षण की लॉटरी निकालने के निर्देश दिए हैं. आरक्षण की लॉटरी का काम पूरा होने के साथ संभवत: आयोग जुलाई के अंत या अगस्त महीने के प्रारंभ में चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो फिर कम से कम दो महीने और मंत्रिमंडल फेरबदल खिसक सकता है.

आयोग ने राज्य सरकार को यह लिखा...

दरअसल, कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम होने के साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग शेष बचे पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की तैयारियों में जुट गया है. आयोग ने 2 जून को ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग को चिट्ठी के जरिये आरक्षण की लॉटरी पुनः कराए राजाने के लिए कहा है. राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि नगर पालिकाओं के गठन से प्रभावित ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और प्रभावित जिला परिषद पंचायत समिति के साथ ग्राम पंचायतों के निर्वाचन क्षेत्रों/वार्डों का पुनगर्ठन एवं आरक्षण के पुनः निर्धारण के कार्य के लिए नवीन कार्यक्रम शीघ्र जारी कर आयोग को अवगत कराएं, ताकि इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग प्रभावित पंचायती राज संस्थाओं के नवीन/संशोधित परिसीमन के अनुसार इनकी मतदाता सूची तैयार कराकर इनके आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सके.

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मंत्रिमंडल पर असर...

प्रदेश के 12 जिलों अलवर, बारां, दौसा, भरतपुर, धौलपुर, जयपुर, जोधपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, सिरोही और श्रीगंगानगर जिला परिषद और पंचायती समिति सदस्यों के जनवरी 2020 में होने वाले आम चुनाव राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के परिसीमन हेतु जारी की गई अधिसूचनाओं को कोर्ट में चुनौती देने कारण चुनाव नहीं हो सके. इसके बाद कोविड-19 के कारण चुनाव नहीं हो सके. अब जब कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हो गई है तो आयोग ने पंचायत राज विभाग को लॉटरी संबंधी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं. अगर पंचायती राज विभाग जून के आखरी सप्ताह तक लॉटरी निकालने-निकलने का काम पूरा कर लेता है तो आयोग जुलाई के अंत या अगस्त महीने के प्रारंभ में चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है. ऐसा होता है तो फिर कम से कम दो महीने और मंत्रिमंडल फेरबदल सरकार नहीं कर सकेगी.

राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारी...

इसलिए नहीं हुए थे चुनाव...

शेष रहे 12 जिलों में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव नहीं होने के कारण निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. राज्य में पंचायती चुनाव के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि इतने लंबे समय तक जिला परिषद एवं पंचायत समिति की कमान चुने हुए प्रतिनिधियों की बजाय प्रशासकों के हाथ में है. इन जिलों का मामला बार-बार कानूनी अड़चनों में फंसने की वजह से आयोग तय समय पर चुनाव नहीं करवा सका, लेकिन जब कानूनी अड़चनें दूर हो गईं तो इसके बाद कोरोना की वजह से आयोग चुनाव कराने से पीछे हट गया.

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