जयपुर. सरकारी दफ्तरों में अक्सर सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से गबन किया जाता है. यह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा होता है, इसके बावजूद भी लोग जनता के पैसे लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. प्रदेश के जलदाय विभाग में भी 13 करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया है. जलदाय विभाग में भी इस करोड़ों के घपले को लेकर अधिकारियों पर उंगली उठ रही है और इस संबंध में दो बड़े अधिकारियों को विभाग की ओर से नोटिस देकर जवाब भी मांगा गया है.
दरअसल, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के आला अधिकारी और निजी लैब संचालक पेयजल सैंपल की जांच के नाम पर करोड़ों रुपए ठगने का काम कर रहे थे. जनता को शुद्ध पानी मिले इसलिए पानी की जांच की जानी थी. पानी के सैंपल की जांच के नाम पर 13 करोड़ रुपए का भुगतान पहले ही किया जा चुका है. 7 करोड़ के भुगतान करते समय गबन का मामला उजागर हुआ.
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पानी के सैंपल जांच बिना ही निजी लैब संचालकों ने 7 करोड़ से ज्यादा के भुगतान उठाने की तैयारी कर ली थी. पेयजल के लिए दूसरे टेंडर ने अफसरों और लैब संचालकों के मिलीभगत की पोल खोल दी. इस मामले में मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट और चीफ केमिस्ट को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है.
प्रदेश के 233 ब्लॉकों में 2013 में लैब स्थापित कर पेयजल के 3 लाख सैंपल की जांच करनी थी, लेकिन विभाग की ओर से लैब स्थापित नहीं की गई. पानी के सैंपल की जांच समय पर पूरी हो इसलिए यह काम निजी लैबों को दिया गया. 2016 तक निजी लैब संचालक 3 लाख सैंपल की जांच नहीं कर सके.