जयपुर. टेक्नोलॉजी में लगातार हो रहे बदलाव को सट्टे के सौदागरों ने भी अपनाया है. सटोरियों ने अब ऑनलाइन सट्टा खिलाने का ट्रेंड भी काफी बदल लिया है. पहले ऑनलाइन सट्टा खिलाने के लिए सटोरियों को पूरा सेटअप करना पड़ता था. कई तरह की डिवाइस (उपकरण) लगाने पड़ते थे. लाइन जोड़ कर अलग-अलग लोगों को भाव बताने पड़ते थे. लेकिन अब सटोरिए ऑनलाइन बेटिंग एप के जरिए सट्टा खिला रहे हैं और पुलिस की नजरों से भी बचे हुए हैं.
सटोरियों ने बदला ट्रेंड
एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि IPL मैच पर सट्टा खिलाने वाले सटोरियों ने अब अपना ट्रेंड काफी बदल लिया है. ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले सटोरिए अब शहर से बाहर किसी फार्म हाउस या फिर किसी नामी-गिरामी सोसाइटी में फ्लैट किराए से लेकर सट्टा खिलाते हैं. खुद के फ्लैट पर भी अपने दोस्तों और जान-पहचान के लोगों के साथ मिलकर ऑनलाइन सट्टा खिलाया जाता है. अब सट्टा खिलाने के लिए सटोरिए वेबसाइट और मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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कैसे खिलाया जाता है सट्टा?
ऑनलाइन वेबसाइट और एप के जरिए लोगों को सट्टा खिलाया जा रहा है. अलग-अलग वेबसाइट पर सट्टे के अलग-अलग रेट हैं. यदि कोई सट्टा खेलना चाहता है तो बुकी बाकायदा यूजर ID बनाते हैं और पासवर्ड क्रिएट करते हैं. सट्टे का तमाम हिसाब-किताब भी ऑनलाइन रहता है. यानी सटोरियों को अब रजिस्टर में हिसाब किताब लिखने की जरूरत नहीं होती है. ऑनलाइन सट्टे में राशि का जो लेनदेन किया जाता है, वह पूरी तरह से गैरकानूनी है. हवाला के जरिए करोड़ों रुपए की राशि एक शहर से दूसरे शहर तक जीतने वाले शख्स को पहुंचाई जाती है.
दुबई और दूसरे देशों से जुड़े हैं सटोरियों के तार
सटोरियों के खिलाफ जयपुर की कमिश्नरेट स्पेशल टीम और चारों जिलों की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम लगातार कार्रवाई कर रही है. हाल ही में की गई कुछ कार्रवाई में गिरफ्तार किए गए सटोरियों के तार दुबई और दूसरे देशों से जुड़े हुए पाए गए हैं. सटोरिए जिस वेबसाइट और मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर ऑनलाइन सट्टा खिला रहे हैं, वह दुबई और दूसरे देशों में लीगल है. उसका संचालन भी वहीं से किया जा रहा है.
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पुलिस को ऐसे चकमा देते हैं सटोरिए
ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले सटोरिए विभिन्न डिवाइस और उपकरणों का इस्तेमाल कर पुलिस को गच्चा देने का प्रयास करते हैं. पिछले साल जयपुर पुलिस ने प्रताप नगर थाना क्षेत्र में ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था. इस गिरोह ने पुलिस को गच्चा देने के लिए कई डिवाइस फ्लैट की छत पर इंस्टॉल किया था ताकि उनकी लोकेशन को पुलिस ट्रेसआउट ना कर सके. यही नहीं पुलिस सटोरियों की लोकेशन GPS के माध्यम से ट्रेस करने का प्रयास करे तो वह लोकेशन भी पुलिस को किसी अन्य स्थान की मिले. हालांकि पुलिस ने लोकल इंटेलिजेंस और मुखबिर तंत्र के आधार पर कार्रवाई को अंजाम देते हुए सटोरियों के तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया था.