जयपुर.आज राजस्थान की नहरों में जो 'काला जहर' पहुंच रहा है. उसका मुख्य स्रोत है पंजाब के लुधियाना शहर का बुड्ढा नाला. इसी नाले में पंजाब की कई डाइंग फैक्ट्रियां अपना औद्योगिक अपशिष्ट छोड़ती हैं. इसके अलावा शहरी क्षेत्र से जब ये नाला गुजरता है तो इसमें सीवरेज के पानी, कैमिकल युक्त दूषित पानी से लेकर तमाम गंदगी छोड़ी जाती है. लेकिन अब जल्द ही इस नाले की सफाई और कायाकल्प के लिए पंजाब सरकार 650 करोड़ रुपए खर्च करेगी.
ईटीवी भारत की मुहिम आजादी 'काले पानी' से का बड़ा असर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्थानीय निकाय विभाग को यह प्रोजेक्ट दो साल के समय के अंदर हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिए हैं. पंजाब सीएम ने अतिरिक्त मुख्य सचिव स्थानीय निकाय संजय कुमार को निर्देश दिए हैं कि बुड्ढा नाले की कायाकल्प करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं.
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बता दें इस बुड्ढा नाला लुधियाना शहर के बीचों बीच से निकलता है जिसकी कुल लंबाई 47.55 किलोमीटर है. इसमें से 14 किलोमीटर तक यह नाला लुधियाना शहर में से गुजरता है जहां कई प्रकार के औद्योगिक और सीवरेज का पानी बड़ी मात्रा में मिलता है. यह नाला वलिपुर के पास सतलुज नदी में जाकर मिलता है जिसका पानी आगे चलकर सबसे बड़े कैनाल प्रोजेक्ट इंदिरा गांधी नगर में मिलता है.
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पंजाब सरकार की तरफ से जिस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है, उसके 650 करोड़ में से पंजाब सरकार 342 करोड़ खर्च करेगी जबकि 208 करोड़ केंद्र सरकार और 100 करोड़ निजी ऑपरेटर द्वारा वहन करेंगे. यह प्रोजेक्ट कई चरणों में पूरा होगा. इस प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत तहत बुड्ढा नाला के 14 किलोमिटर दायरे में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे. दूसरे चरण में 150 करोड़ रुपए की खर्च कर प्रदूषित पानी के पुन: प्रयोग लेने लायक बनाया जाएगा. वहीं, तीसरे चरण में 283 करोड़ रुपए खर्च कर नाले का कायाकल्प किया जाएगा.
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आपको बता दें कि लुधियाना से निकलने वाला अपशिष्ट सीधा सतलुज नदी में बुड्ढा नाले के जरिए ही गिरता है. यही पानी पंजाब के कई जिलों समेत राजस्थान के कई जिलों में पेयजल और कृषि कार्य में उपयोग किया जाता है. इस पानी में हैवी मेटल्स और कई तरह के रासायन होने के कारण कई लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. जिसे लेकर ईटीवी भारत ने एक मुहिम चलाई थी आजादी 'काले पानी' से. जिसका अब बड़ा असर होता दिखाई दे रहा है.