जयपुर. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दर्द जुबां पर आ गया. दर्द था पिछली भाजपा सरकार के अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय बंद करने का. गहलोत ने कहा हमारी सरकार ने विश्वविद्यालय शुरू किया लेकिन सरकार बदलते ही पिछली भाजपा सरकार ने उसे बंद कर दिया, जिसका मुझे आज भी दुख है और इसका कारण अब तक समझ नहीं आया.
बिरला सभागार में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र और गहलोत ने एलएलए 1 वर्षीय उपाधि 31 छात्र-छात्राओं को वितरित की. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह तक कह दिया कि इन विश्वविद्यालयों के साथ जिनका नाम जुड़ा था वह संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर और पूर्व मुख्यमंत्री हरदेव जोशी थे. बावजूद इसके हमारी पिछली सरकार ने निर्णय क्यों बदला, इसका कारण अब तक समझ में नहीं आया. उन्होंने कहा कि अब जनता और आप सब के आशीर्वाद से हमारी सरकार फिर बनी तो हमने सबसे पहले इन दोनों विश्वविद्यालयों को शुरू करने का काम किया.
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कुलपति देव स्वरूप की सराहना
अपने संबोधन में गहलोत ने विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देव स्वरूप की सराहना की और यह कहा कि मुझे आश्चर्य है कि किसी को कुलपति पद का ऑफर दिया जाए तो वह उसे स्वीकार नहीं करता. इस विश्वविद्यालय के मामले में भी ऐसे ही हुआ, लेकिन फिर मैं यूजीसी से प्रोफेसर देव स्वरूप को इस नई जिम्मेदारी के लिए लेकर आया. गहलोत ने कहा मुझे इस बात की खुशी है कि यह केवल यहां नौकरी ही नहीं कर रहे बल्कि मिशन के रूप में काम कर रहे हैं.
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पाठ्यक्रम में राष्ट्र चेतना से जुड़े पाठ को जोड़ा जाए
मुख्य अतिथि राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधि के पाठ्यक्रम में राष्ट्र चेतना से जुड़े पाठों को जोड़े जाने पर जोर दिया. राज्यपाल ने कहा की स्टूडेंट्स को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे महान योद्धा जो अधिवक्ता भी रहे, उनके अलग-अलग केस को भी पढ़ाया जाना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि स्वयं बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि हम सबसे पहले भारतीय हैं और फिर कोई अन्य हमारी पहचान है. इन सब चीजों को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए. मिश्र ने इस दौरान ऐसा पाठ्यक्रम विकसित करने की बात भी कही जिससे समानता का प्रकाश को व्यापक रूप प्रदान किया जा सके.