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शिक्षा मंत्री का बयान झूठा और बेबुनियाद, सरकारी स्कूलों में भी दी जाती है उर्दू तालीम: अमीन कायमखानी

राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि उर्दू तालीम को लेकर शिक्षा मंत्री ने जो बयान दिया है वह पूरी तरह से झूठ और बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि कक्षा एक से पांच की सरकारी स्कूलों भी उर्दू तालीम दी जा रही है.

Amin Kaymkhani, Jaipur latest news
शिक्षा मंत्री का बयान झूठा और बेबुनियाद

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Published : Nov 22, 2020, 8:32 PM IST

जयपुर.राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि उर्दू तालीम को लेकर शिक्षा मंत्री ने जो बयान दिया है वह पूरी तरह से झूठ है और बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि उर्दू माध्यम की कक्षा एक से पांच की सरकारी स्कूलों भी उर्दू तालीम दी जा रही है.

शिक्षा मंत्री का बयान झूठा और बेबुनियाद

पीसीसी में हुए एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने उर्दू को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि कक्षा पांचवी तक तृतीय भाषा नहीं होती. कक्षा 6 से 8 तक तृतीय भाषा होती है. डोटासरा ने कहा कि तृतीय भाषा जितने शिक्षक भारतीय जनता पार्टी के शासन में थे, उससे ज्यादा कांग्रेस के शासन में लगाए गए है. बीजेपी जरूर उर्दू के साथ नाइंसाफी करती है लेकिन कांग्रेस ना तो उर्दू, ना ही सिंधी और ना ही पंजाबी के साथ नाइंसाफी करेगी. अमीन कायमखानी का कहना है कि कक्षा 1 से 5 तक उर्दू माध्यम वाली सरकारी स्कूलों में अब तक किताबे नहीं पहुंची है, जबकि शिक्षा मंत्री ने कहा है कि सभी जगह किताबें पहुंचा दी गई है.

अमीन कायमखानी ने कहा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में उर्दू चार तरीकों से पढ़ाई जा रही है. पहली से पांचवी तक उर्दू माध्यम की सरकारी स्कूलों में, पहली से पांचवी तक उर्दू अतिरिक्त विषय के रूप में, छठी से दसवीं तक उर्दू तृतीय भाषा के रूप में और ग्यारहवीं से बारहवीं तक उर्दू एच्छिक विषय के रूप में पढ़ाई जा रही ह. कायमखानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने वर्तमान सत्र 2020-21 से पहली से पांचवी तक उर्दू माध्यम और अतिरिक्त विषय को बंद कर दिया है.

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शाला दर्पण के नि-शुल्क किताबों की मांग में स्पष्ट लिख दिया गया है कि उर्दू की किताब सिर्फ मदरसों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए ही है. कायमखानी ने आरोप लगाया कि सरकार ने उर्दू को सरकारी स्कूलों से बंद कर सिर्फ मदरसों तक ही सीमित कर दिया है. यह भाषाई अल्पसंख्यक समुदाय की मातृभाषा की तालीम व इसके जरिए मिलने वाले रोजगार पर शिक्षा राज्यमंत्री का बड़ा प्रहार है.

अमीन कायमखानी का कहना है शिक्षा मंत्री को संविधान और राइट टू एजुकेशन को पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूलों में सालों से उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति होती आई है इन स्कूलों में उर्दू में इम्तहान भी होते हैं. 2019 में भी इम्तहान हुए थे और परिणाम भी जारी हुए थे, लेकिन 2020 में कोविड-19 कारण एग्जाम नहीं हो पाए. उर्दू माध्यम के स्कूलों में उर्दू की किताबें बंद करने को कायमखानी ने गलत बताया. उन्होंने मांग कि इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हस्तक्षेप करना चाहिए और शिक्षा मंत्री को पाबंद करना चाहिए कि वे इस तरह के बयान न दें.

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