जयपुर. साल के सबसे बड़े दिन रविवार को दिखा. इस दौरान आसमान में सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह नजर आया. राजधानी जयपुर के बिड़ला तारामंडल में वैज्ञानिकों ने अद्भुत तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की. हालांकि कोरोना के चलते शहरवासियों की नो एंट्री रही.
जयपर में आंशिक सूर्य ग्रहण के चलते शहर में दिन में ही एकबारगी अंधेरा छा गया. पक्षियों की चहचहाहट के बीच हवा एकदम शीतल हो गई. चांद की ओट से निकली सूरज की मुद्रिका को देखना एक अद्भुत दृश्य रहा. जब 11 बजकर 56 मिनट पर जयपुर में करीब 88% सूर्यग्रहण दिखाई दिया. हालांकि जयपुर में सूर्यग्रहण 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो गया था. अमावस्या की काली चांद सूर्य के चमकदार डिस्को को पश्चिमी दिशा से पहले ढकना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे पूरब की तरफ निकलते हुए नजर आया.
चंद्रमा नजदीकी पिंड है, तो आसमान में तेज गति से चलते हुए नजर आता है. बजाएं सूर्य के क्योंकि सूर्य दूर पिंड है, तो इसलिए आसमान में धीरे चलते हुए नजर आता है. इसलिए चंद्रमा अमावस्या सूर्य को पार करते हुए चंद घंटों में निकल जाता है. वहीं ऐसा नजारा किसी चीज को हानि पहुंचा सकता है तो वो केवल और केवल आंखे हैं. इसलिए ऐतिहात के तौर पर आंखों पर चश्मा लगाना ठीक रहता है.
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चंद्रग्रहण को जहां खुली आंखों से देखना सुरक्षित होता है, वहीं सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है. यही वजह है कि स्पेशल उपकरणों की सहायता से शहरवासियों ने सूर्यग्रहण का दीदार किया.
बता दें की राहु-केतु और सूर्य का एक जगह इकठ्ठे होना ये एक महज इत्तेफाक है. यही वजह है कि सूर्यग्रहण पर जयपुर में अद्भुत नजारा देखने को मिला. जयपुर भाग्यशाली इसलिए भी है कि दिन के बिल्कुल मध्यम भाग में जब सूर्यग्रहण अपने चरम पर था. तब भी शहरवासी अपने कैमरों में साफ तस्वीरें कैद करते दिखे.