बीकानेर. पंचायत जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के परिणामों ने जहां कांग्रेस के खेमे में खुशी की लहर चला दी है, तो वहीं भाजपा के लिए एक बार फिर निराशा की खबर सामने आई है. बीकानेर जिला परिषद में अब तक कांग्रेस एक बार भी हारी नहीं है और इस बार भाजपा इस मिथक को तोड़ने के प्रयास में थी, लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बीकानेर जिला परिषद कांग्रेस का अजेय दुर्ग है.
इन चुनाव परिणामों में सबसे बड़ा उलटफेर केंद्रीय राज्यमंत्री और बीकानेर से सांसद अर्जुन मेघवाल के पुत्र रवि शेखर मेघवाल का जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनाव हारना रहा. उद्योग विभाग से वीआरएस लेकर एक साल पहले राजनीति में आए रवि शेखर ने जिला परिषद चुनाव के बहाने सक्रिय राजनीति में एंट्री ली थी, लेकिन रवि के राजनीतिक रास्ते में खाजूवाला से कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल आ गए.
इसके बाद रवि शेखर के सामने गोविंद मेघवाल ने अपनी पत्नी आशा देवी को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा और चुनावी मुकाबले में आशा देवी ने रवि शेखर को ढाई हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया. पंचायत चुनाव में गोविंद ने जहां सीधे मुकाबले में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को चुनौती दी, तो वहीं खुद की पार्टी में भी चुनाव में गोविंद का अंदरखाने में विरोध रहा लेकिन चुनाव परिणामों के बाद गोविंद ने सब को चुप करा दिया.
दरअसल, अपनी पत्नी के साथ ही गोविंद ने अपनी पुत्री सरिता चौहान को भी जिला परिषद के सदस्य के तौर पर चुनाव लड़ाया और सरिता भी वार्ड संख्या 24 से चुनाव जीतने में सफल रही. अब जिला परिषद में कांग्रेस के बहुमत में होने के बाद सरिता को जिला प्रमुख का दावेदार माना जा रहा है. इतना ही नहीं अपनी पत्नी और पुत्री के अलावा गोविंद मेघवाल ने पूगल पंचायत समिति से अपने पुत्र गौरव चौहान को भी मैदान में उतारा और अपने पुत्र को भी चुनाव जिताने में सफल रहे.
इसके अलावा और नजदीकी पारिवारिक सदस्यों को गोविंद ने चुनाव में टिकट दिया. खाजूवाला विधानसभा से विधायक गोविंद मेघवाल ने विधानसभा क्षेत्र की पूगल पंचायत समिति में पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिलाने में सफलता हासिल कर ली. हालांकि खाजूवाला पंचायत समिति में गोविंद पिछली बार की तरह कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं दिला पाए और भाजपा और कांग्रेस और निर्दलीय तीनों को ही पांच-पांच सीट मिली है. ऐसे में यहां निर्दलीय दोनों बराबरी पर है और यहां भी दोनों ही पार्टियों की तरह निर्दलीय ही निर्णायक है.
श्रीडूंगरगढ़...
जिले के दूसरे नेताओं की बात करें तो श्रीडूंगरगढ़ से कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने पंचायत समिति सदस्य के तौर पर अपनी पुत्रवधू को चुनाव लड़ाया और जिताने में सफल रहे. इतना ही नहीं 2 साल पहले विधानसभा चुनाव हारने वाले मंगलाराम ने वर्तमान विधायक माकपा के गिरधारी महिया और देहात भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे ताराचंद सारस्वत के मुकाबले पंचायत समिति चुनाव में अपनी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन रखा. हालांकि, पंचायत समिति श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस बहुमत से एक के आंकड़े से दूर है, लेकिन माकपा और भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहने क्रेडिट मंगलाराम को जाता है.