बीकानेर. रविवार 6 मार्च 2022 से शुरू हुए तीन दिवसीय इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल (International Camel Festival) का समापन मंगलवार को हो गया. पहली बार कैमल फेस्टिवल (Camel Festival Of Bikaner) में पहले कुछ अलग, कुछ नया किया गया. नए प्रयोगों को वहां मौजूद लोगों ने काफी सराहा भी.
पिछले 27 सालों से लगातार बीकानेर में कैमल फेस्टिवल का आयोजन होता रहा है लेकिन पिछले साल कोरोना ब्रेक लग गया था. इस साल भी कोविड की वजह से ही पोस्टपॉन करना पड़ा और जनवरी की बजाए मार्च में शेड्यूल किया गया.
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव का समापन क्या रहे नए प्रयोग?: इस बार दो की बजाए 3 दिन का कैमल फेस्टिवल (International Camel Festival) आयोजित किया गया. दिन भर होने वाली गतिविधियों की बजाए सुबह और शाम को ही कार्यक्रम हुए और खास बात, कार्यक्रम पब्लिक पार्क में आयोजित किए गए.
पढ़ें- हेरीटेज वॉक के साथ तीन दिवसीय इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल का शानदार आगाज
ग्रैंड फिनाले कुछ यू: मंगलवार को तीसरे दिन करणी सिंह स्टेडियम में देर शाम शुरू हुए आयोजनों में महिलाओं के बीच मटका दौर रस्साकशी जैसी स्पर्धा हुई. इसमें आम दर्शकों की भागीदारी रही. सांस्कृतिक संध्या भी लाजवाब रही. शाम को माहौल को मोहक बनाया बीकानेर के ही तेजरासर गांव के मूलनिवासी और बॉलीवुड से जुड़े संगीतकार गायक अली गनी ने. जिनकी युगल प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों का मन मोह लिया. कार्यक्रम की समाप्ति अग्नि नृत्य से हुई जिसे देख लोगों ने दांतों तले ऊंगली दबा ली.
ऊंटों पर रौबीले जवान: ऊंट महोत्सव का खास आकर्षण रहा सेना और बीएसएफ के जवानों का रेगिस्तान के जहाजों के साथ किए जाबांज करतब. इन हैरतअंगेज करतब को देख लोग निशब्द हो गए. कैमल फेस्टिवल के समापन पर मिस्टर बीकाणा और मिस मरवण के साथ ही अलग-अलग प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए गए. कैमल फेस्टिवल में बीएसएफ और आर्मी के साथ ही आरएसी के बैंड ने स्वर लहरियां बिखेर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
आम के साथ खास भी: समापन के मौके पर (Grand Finale Of Three Days International Camel Festival) संभागीय आयुक्त नीरज के पवन जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद पुलिस अधीक्षक योगेश यादव सहित पर्यटन विभाग से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें-बीकानेर में दूसरे दिन भी छाया रहा कैमल फेस्टिवल का खुमार
विविधता में एकता की झलक: कुल मिलाकर 3 दिन के इस आयोजन में बीकानेर की सतरंगी छटा के साथ ही विविधता में एकता की भारतीय झलक भी लोगों को देखने को मिली. पिछले कई सालों से कैमल फेस्टिवल से जुड़े किशोर सिंह राजपुरोहित कहते हैं कि यह बीकानेर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी पहचान का पर्याय है और कोरोना के चलते जिस दौर से हम गुजरे हैं उस बीच इसका आयोजन मन को प्रसन्न करने वाला है.
कैमल फेस्टिवल में मिस्टर बीकाणा प्रतियोगिता में विजेता रहे अशोक कहते हैं कि इस तरह के आयोजन से स्थानीय लोगों को एक मंच मिलता है और वह अपनी कला और हुनर को देश और दुनिया के सामने प्रदर्शित करते हैं. लोक कलाकार गोपाल बिस्सा कहते हैं कि निश्चित रूप से कैमल फेस्टिवल का आयोजन लोक कला को बढ़ाने का एक जरिया है और बीकानेर की सतरंगी संस्कृति दूर दूर तक अपनी छाप छोड़ती है.