भीलवाड़ा.आपके बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर जिले की सभी निजी स्कूलों की बसों की हालात ईटीवी भारत ने देखा. जब बसों की स्थिति का जायजा लिया तो बसों की स्थिति को देखकर हर कोई अचरज में पड़ गए. जहां इन मासूम बच्चों को घर से स्कूल तक पहुंचाने के लिए बच्चों के माता-पिता स्कूल बस के चालक और परिचालक पर पूरा भरोसा करके भेजते हैं. लेकिन खुद चालक परिचालक लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए इन बच्चों की जान जोखिम में डालकर इनको स्कूल में पहुंचा रहे हैं.
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रियलिटी चेक में खामियां आई सामने
इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने शहर की स्कूल बसों की स्थिति एक जैसी पाई. जहां सिर्फ दिखाने के लिए बसों पर स्कूल का नाम, पुलिस के मोबाइल नंबर जरूर लिखे हुए हैं. लेकिन ना बच्चे को बैठने के लिए स्कूल बस में जगह मिलती है और ना चालक, परिचालक का कोई ड्रेस कोड है, ना उनके पास लाइसेंस है और ना ही बस में फर्स्ट ऐड बॉक्स रखा है.
बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से कितनी सुरक्षित है भीलवाड़ा में स्कूल बसें...देखिए स्पेशल रिपोर्ट हरकत में आई भीलवाड़ा यातायात पुलिस
रियलिटी चेक के बाद भीलवाड़ा यातायात पुलिस हरकत में आ गई और शहर के की निजी बसों को चेक किया और जहां भी कमी नजर आई उन बसों को चालान बनाए गए. वही ईटीवी भारत की पहल के बाद भीलवाड़ा शहर के यातायात प्रभारी रामकिशन गोदारा ने निजी स्कूल की बसों में चेक करते हुए बस में चालक और परिचालक को हिदायत दी . तो बच्चों को भी सुरक्षा के संबंधित जानकारी देते हुए कहा कि अगर चालक लापरवाही से वाहन चलाता है तो स्कूल बस में लिखें नंबर पर आप हमें सूचना दें. साथ ही चालक से लाइसेंस व ड्रेस कोड नहीं होने पर बस को जब्त कर चालान बनाया गया.
यातायात प्रभारी ने दिखाई स्कूल बसों पर सख्ती
वहीं भीलवाड़ा शहर के यातायात प्रभारी रामकिशन गोदारा ने ईटीवी भारत को बताया सभी निजी स्कूलों की बसों को प्रॉपर गाइडलाइन के अनुसार चेक किया जाता है और शहर में प्रत्येक नाकों पर हमारे यातायात कर्मी भी इन बसों को समय-समय पर चेक करते हैं. जो नियमों की पालना नहीं करते हैं उनका चालान बनाया जाता है. साथ ही ईटीवी भारत की पहल पर हमने आज समस्त बसों को रुकवाते हुए छात्रों को समझाया और चालक परिचालक को ड्रेस कोड, फर्स्ट एड बॉक्स और लाइसेंस की जानकारी दी. जिनके पास उपलब्ध नहीं थे उनके चालान बनाए गए.
क्या है स्कूल बसों की गाइडलाइन..जानिए
- बस का रंग पीला होना चाहिये, बस के आगे और पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिये.
- खिड़की की खिड़कियों पर ग्रिल और शीशा भी होना चाहिए, आग बुझाने का इंतजाम बस में होना जरूरी है.
- बस में फर्स्ट एड बॉक्स का होना चाहिए, स्कूल बस पर स्कूल का नाम, पता और उसका फोन नंबर भी लिखा होना चाहिए.
- बच्चों को चढ़ाने उतारने के लिये स्कूल का एक सहायक या सहायिका भी होना जरूरी है.
- बस के दरवाजे ठीक से बंद होते हैं और चलती बस के गेट लॉक होने चाहिए
- बस में स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिये और उसकी स्पीड 40 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
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बता दें कि यदि कोई स्कूल इन नियमों की अनदेखी कर रहा हो तो अभिभावक इस संबंध में स्कूल प्रशासन से बात कर सकते हैं और यदि उसके बाद भी कार्रवाई न हो तो इसकी शिकायत प्रशासन से भी की जा सकती है.