भीलवाड़ा.जिले में गुवारडी नाले के पास 3 सितंबर की सुबह एक अधेड़ की लाश मिली थी. शव प्लास्टिक की थैली में था और उसके हाथ पैर बंधे हुए थे. राहगीर की सूचना पर मंगरोप थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई. इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को 6 दिन लगे. और जो सच सामने आया वो चौंकाने वाला था.
क्या कोई शख्स अपनी ही हत्या करवाने के लिए साजिश रच सकता है. जी हां, ये सच निकला. भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर ने इस हत्या का पूरा राज खोलते हुए बताया कि इस साजिश का मुख्य सूत्रधार खुद मृतक बापू नगर निवासी बलवीर सिंह खरोल ही था. उसने ही अपनी हत्या के लिए 80 हजार रुपए की सुपारी दी थी.
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पुलिस को हत्या के पीछे पैसों के लेनदेन पर शक तो पहले से ही था. क्योंकि जिस शख्स की हत्या हुई वो फायनेंसर का काम करता था. लेकिन इस बात से खुद पुलिस भी हैरान थी कि उसने खुद अपनी हत्या की सुपारी दी. अब सवाल ये है कि आखिर एक फायनेंसर ने अपनी ही हत्या की साजिश क्यों रची.
फिल्मी स्टाइल में अपनी ही हत्या की रची साजिश हत्या के बाद इस मिस्ट्री का राजफाश करने के लिए पुलिस ने सारे फोन कॉल रिकॉर्ड खंगाले. और हत्यारों के गिरेबान तक पहुंच गई. पुलिस ने उत्तर प्रदेश निवासी सुनील यादव और हरियाणा निवासी राजवीर नायक को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान हत्यारों ने इसके पीछे की कहानी का सारा राज उगल दिया.
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दरअसल, मृतक बलवीर सिंह ने 50 लाख रुपए का एक्सीडेंटल बीमा करवा रखा था. राजस्थान पुलिस का कहना है कि इस बीमा राशि को पास करवाने के लिए ही बलवीर ने खुद की हत्या की साजिश रची थी. फायनेंसर बलवीर रुपए उधार देने का कार्य भी करता था. और उसने मार्केट से 20 लाख रुपए लेकर लोगों को उधार दे रखे थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से लोग उसे ब्याज और मूल रकम नहीं दे रहे थे. जिसके कारण वह काफी परेशान रहने लगा था. तब बलवीर ने एक गेम प्लान सोचा और अपनी ही हत्या की साजिश रच डाली.
ये कोई हत्या की झूठी साजिश नहीं थी. इसमें बलवीर को खुद की जान देनी थी. भीलवाड़ा एसपी हरेन्द्र महावर ने बताया कि बलवीर ने इसके लिए अपना 50 लाख रुपए का एक्सीडेंटल बीमा करवाया था. जिसका नोमिनी उसने अपनी पत्नि को बनाया. बलवीर ने बीमा शुरू होने के लिए पहली किस्त 8 हजार 4 सौ 32 रुपए भी अदा कर दी थी, ताकि मौत के बाद वो रकम उसकी पत्नि को मिल सके.
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पुलिस के मुताबिक अपनी हत्या करवाने के लिए बलवीर ने अपने ढ़ाबे के साझेदार राजवीर से संपर्क किया. राजवीर ने इस साजिश में राकेश को भी शामिल कर लिया. हत्या के लिए सुपारी 80 हजार रुपए तय की गई. बाकायदा बलवीर ने राजवीर को 5 हजार नकद और 5 हजार उसके खाते में भी डलवा दिए. इसके बाद 2 सितंबर की शाम तीनों गुवारडी नाले पहुंचे जहां दोनों आरोपियों ने बलवीर के हाथ पैर बांधकर गले में फांसी का फंदा लगाकर उसकी हत्या कर दी.