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19 वर्ष पहले बिछड़े बच्चे को लेने के लिए अब माता- पिता खटखटाएंगे उच्च न्यायालय का दरवाजा

कामां में बिछड़े हुए बच्चे को वापस लेने के लिए स्थानीय कोर्ट से विफल होने के बाद अब माता पिता उच्च न्यायालय की शरण लेंगे. 19 वर्ष पहले बिछड़े हुए बच्चे को लेने पहुंचे.

बिछड़े बच्चे के लिए अब माता- पिता खटखटाएंगे उच्च न्यायालय का दरवाजा

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Published : May 9, 2019, 12:08 AM IST

कामां (भरतपुर).कहानी एक ऐसे 5 वर्षीय बालक की है जिसका नाम वीर सिंह उर्फ़ मोहम्मद हुसैन है. वो परिजनों से बिछड़ गया, लेकिन उसके बाद उसकी परवरिश कामां तहसील के गांव सबलाना निवासी पति-पत्नी ने अपने बच्चे की तरह की और उसका नाम मोहम्मद हुसैन रख दिया.

बिछड़े बच्चे के लिए अब माता- पिता खटखटाएंगे उच्च न्यायालय का दरवाजा
इस कहानी में उस समय मोड़ आया जब बिछड़े हुए बच्चे को जन्म देने वाले मां-बाप 19 साल बाद उसे वापस लेने आए. बेटे ने जन्म देने वाले मां बाप के साथ जाने से मना कर दिया और पालन पोषण कर रहे परिवार के साथ ही रहने की इच्छा जताई. बच्चे से वयस्क हुए इस व्यक्ति पर अपना हक़ जताने का मामला कोर्ट तक गया लेकिन युवक के 18 वर्ष से ऊपर होने के कारण कोर्ट ने भी उसे कहीं भी रहने के लिए इजाजत दी. जिसके बाद अब उसके पूर्व माता पिता उच्च न्यायालय जाएंगे.
कामां थाने के गांव सबलाना में करीब 19 वर्ष पहले एक 5 वर्षीय बालक जिसका नाम वीर सिंह था, लावारिस हालत में घूमते घूमते गांव सबलाना पहुंच गया था. सबलाना में बच्चों के साथ खेलने लग गया. उसी गांव के ही शेर मौहम्मद नामक व्यक्ति ने मानवता का परिचय देते हुए लावारिस बालक को देख अपने घर पर रखकर उसके परिजनों की काफी तलाश की. लेकिन उसके परिवार का कोई भी पता नहीं मिला. समय के साथ-साथ बच्चा परिवार वालों में ही घुल-मिल गया और परिवार के साथ ही रहने लग गया. इसके बाद वर्ष 2015 में बच्चे से बड़े हुए उस युवक की शादी भी कर दी गई, जिसके बाद उसकी खुशहाल जिंदगी में एक दिन ऐसा आया कि उसे लेने के लिए दिल्ली से उसे जन्म देने वाले माता पिता उसके घर पहुंच गए.
दिल्ली के मंगोलपुरी के निवासी मौहम्मद हसन और अमना ने यहां कामां कोर्ट में आकर बच्चे को ले जाने के लिए दावा पेश किया मगर उनको निराशा हाथ लगी और अब वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. बच्चे को जन्म देने वाले माता पिता मोहम्मद हसन व अमना का कहना है की 13 वर्ष पहले उनका बच्चा अपनी बुआ के साथ रिस्तेदार के यहां आया था, जहां से वह बिछड़ गया. उलकी तलाश करने की काफी कोशिश की और मंगोलपुरी थाने में भी लापता होने की शिकायत दर्ज कराई. लेकिन अब उसकी पुत्री के ससुराल वालों की इस गांव में रिश्तेदारी है, जहां बच्चे के बारे में पता चला है और हम उसको पहचान चुके हैं. लेकिन जिन लोगों के पास वह रह रहा है, वे उसे ले जाने नहीं दे रहे हैं.जन्म देने वाले माता-पिता का कहना है कि स्थानीय कोर्ट से निराशा हाथ लगी, इसलिए अब वे अपने बच्चे को वापस लेने के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाएंगे.

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