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Bharatpur: चार करोड़ की लागत से बदलेगा 10 ऐतिहासिक मंदिरों का स्वरूप, जीर्णोद्धार कार्य शुरू

भरतपुर के 10 ऐतिहासिक मंदिरों के कायाकल्प की संकल्पना अब मूर्त रूप ले रही है. भगवान के घर को सजाने संवारने का काम जोरों पर है. 4 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार का काम हो रहा है.

renovation of temples
भरतपुर में मंदिरों का कायाकल्प

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Published : Aug 12, 2021, 11:30 AM IST

भरतपुर:इस शहर को राजस्थान का प्रवेश द्वार कहा जाता है. भगवान राम के भाई भरत के नाम पर इसका नामकरण हुआ. पक्षियों का जमावड़ा भी यहां लगता है पक्षी विहार से कौन नावाकिफ है. ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं धार्मिक दृष्टि से भी लोगों के दिलों में बसता है भरपुर. यहां मंदिर भी बहुत हैं. वर्षों से उपेक्षित पड़े थे. अब इनकी सुध ली गई है. तो जिले के ऐतिहासिक मंदिरों का जल्द ही स्वरूप और हालात बदलने वाले हैं.

नए टाइल्स लगाने का काम हो रहा है

देवस्थान विभाग जिले के 10 ऐतिहासिक मंदिरों का 4 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार कार्य कराएगा. इसके लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) के माध्यम से कुछ मंदिरों में जीर्णोद्धार का कार्य शुरू भी हो गया है. जल्द ही सभी ऐतिहासिक मंदिर नए स्वरूप और अच्छे हालात में नजर आएंगे.

चार करोड़ से बढ़ेगी मंदिरों की शान
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त केके खंडेलवाल ने बताया कि शहर के कुल 10 मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. इनमें लाला महाराज मंदिर, सिरकी वाले हनुमान जी मंदिर, मोहन जी मंदिर, अटलबंध हनुमान जी मंदिर, गोपाल जी मंदिर, चिमना जी मंदिर, कैला देवी झील मंदिर, डीग के लक्ष्मण जी मंदिर शामिल हैं. इनमें से लाला महाराज मंदिर, सिरकी वाले हनुमान जी मंदिर, मोहन जी मंदिर, अटलबंध हनुमान जी मंदिर, गोपाल जी मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो चुका है.इतनी लागत से जीर्णोद्धार:
मंदिर लागत
लाला महाराज मंदिर 50 लाख
सिरकी वाले हनुमान जी मंदिर 50 लाख
मोहन जी मंदिर 20 लाख
अटलबंध हनुमान जी मंदिर 20 लाख
डीग के लक्ष्मण जी मंदिर 40 लाख
कैला देवी झील मंदिर 40 लाख
चिमना जी मंदिर 30 लाख
गोपाल जी मंदिर 30 लाख


जीर्णशीर्ण हालात में थे मंदिर:असल में जिले के ते सभी 10 मंदिर रियासत कालीन और प्राचीन मंदिर हैं. सभी मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन संचालित होने के बावजूद जर्जर स्थिति में हैं. कई मंदिरों की स्थिति तो काफी खराब है. इनमें से अधिकतर मंदिरों की देखरेख और सुरक्षा केवल मंदिर के पुजारियों के जिम्मे है. ऐसे में कई मंदिरों में असमाजिक तत्व नुकसान भी पहुंचा देते हैं.

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