राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

विशेष : कोख में 'जिंदगी' लिए घर का रास्ता भटक गई थी गुड्डी...11 माह बाद अपनों से मिल छलक पड़े आंसू - भरतपुर का अपना घर आश्रम

ना तन पर पूरे कपड़े थे और ना ही याददाश्त सही थी, ना घर का पता बता पा रही थी और ना ही खुद का नाम. कुछ ऐसे ही हालात में 11 महीने पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर की पुलिस ने मानसिक विमंदित गर्भवती गुड्डी को अपना घर आश्रम पहुंचाया था. अपना घर आश्रम ने ना केवल गुड्डी को आश्रय दिया, बल्कि उचित उपचार और देखभाल से वह स्वस्थ भी हो गई. पढ़िये और समझिये गुड्डी के अपनों से बिछड़ने से लेकर मिलने तक की दास्तां. इस खास रिपोर्ट में...

भरतपुर लेटेस्ट न्यूज,  राजस्थान हिंदी खबरें,  bharatpur latest news,  rajasthan news in hindi
11 माह पहले भटकी गुड्डी को वापस मिला परिवार

By

Published : Oct 22, 2020, 2:31 PM IST

भरतपुर:बेघर लोगों को सहारा देने और उनकी सेवा के लिए जिलें में डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भारद्वाज ने मिलकर अपना घर आश्रम की स्थापना की थी. इस आश्रम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गरीबों और लाचारों की सेवा करना है, जिनका उनके अपनों ने साथ छोड़ दिया या जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है. मानसिक रूप से बीमार लोगों की भी सेवा अपना घर आश्रम में की जाती है. ऐसे लोगों को इस आश्रम में लाया जाता है. उनका इलाज किया जाता है, खाना-पीना दिया जाता है और सेवा की जाती है.

11 माह पहले भटकी गुड्डी को वापस मिला परिवार

ना तन पर पूरे कपड़े थे और ना ही याददाश्त सही थी, ना घर का पता बता पा रही थी और ना ही खुद का नाम. कुछ ऐसे ही हालात में 11 महीने पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर की पुलिस ने मानसिक विमंदित गर्भवती गुड्डी को अपना घर आश्रम पहुंचाया था. अपना घर आश्रम ने ना केवल गुड्डी को आश्रय दिया, बल्कि उचित उपचार और देखभाल से वह स्वस्थ भी हो गई. 11 महीने बाद गुड्डी स्वस्थ हो गई और अपने घर का पता भी बताया. जिसके बाद अपना घर आश्रम की सूचना पर गुड्डी की मां और पिता उसे लेने अपना घर आश्रम पहुंचे.

आश्रम में भरी झोली...

अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि जिस समय गुड्डी अपना घर आश्रम में आई थी, उस समय वह 5 माह की गर्भवती थी. गुड्डी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उसका नियमित रूप से उपचार चला और लगातार देखभाल की गई. मार्च 2020 में गुड्डी ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी का नामकरण गौरांगी भी अपना घर आश्रम में ही किया गया.

परिवार और बच्चे के साथ गुड्डी...

बेटी के जन्म के बाद गुड्डी की हालत में आया सुधार...

गुड्डी का नियमित रूप से उपचार किया गया और बेटी के जन्म के बाद गुड्डी धीरे-धीरे सामान्य होने लगी. बाद में गुड्डी की मानसिक स्थिति सामान्य हो गई और उसने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित अपने घर का पता भी बता दिया. जिसके बाद अपना घर आश्रम की टीम ने प्रयागराज में पुलिस प्रशासन की मदद से उसके घरवालों को ढूंढ कर गुड्डी के सकुशल होने की सूचना पहुंचाई. सूचना पाकर गुड्डी की मां, पिता और भाई उसे लेने के लिए अपना घर आश्रम पहुंचे.

पढ़ें:SPECIAL: त्योहारी सीजन में व्यापारियों की उम्मीदों पर भी 'बैरिकेडिंग'

बेटी और नवासी को देखकर भर आई आंखें...

गुड्डी को लापता हुए लंबा समय बीत गया, लेकिन जब गुड्डी की मां पिता और भाई अपना घर आश्रम में उसे लेने पहुंचे और जब गुड्डी अपनी गोद में नन्ही सी गौरंगी को लेकर उनके सामने आई तो मां और पिता की आंखें गीली हो गईं. गुड्डी की मां और पिता दयाशंकर ने नवासी गौरांगी को गोद में लेकर देर तक दुलारा.

11 महीने पहले भूल गई थी घर का रास्ता...

झोली भरी, लेकिन मांग उजड़ गई...

गुड्डी की मां ने बताया कि जब गुड्डी घर से लापता हो गई, तो उसके पति और सास को गहरा सदमा पहुंचा. गुड्डी को ढूंढने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला. करीब 6 माह पहले गुड्डी की सास और पति का देहावसान हो गया. इधर, गुड्डी की झोली में गौरंगी के रूप में एक खुशी आई थी और उधर उसकी मांग उजड़ गई थी. लेकिन अपना घर आश्रम में रह रही गुड्डी को तो यह भी नहीं पता था कि वह कब सुहागन से विधवा हो गई. गुड्डी को लेने आए माता, पिता और भाई ने भी उसे यहां पति की मौत की सूचना नहीं दी. उन्होंने बताया कि गुड्डी के घर पहुंचने पर ही यह दुखद समाचार उसे दिया जाएगा.

पढ़ें:Special: कोरोना काल में गुलाबी नगरी में चेन स्नैचिंग की वारदातें थमीं, 80 फीसदी की आई कमी

गौरतलब है कि अपना घर आश्रम के नेपाल समेत देशभर में 36 शाखाएं संचालित हैं. जिनमें हजारों निराश्रित, असहाय और बीमार लोगों की निशुल्क देखभाल की जाती है. अपना घर आश्रम में आवास के दौरान स्वस्थ होने पर लावारिस लोगों को उनके परिजनों के साथ उनके घर भी भेजा जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details