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SPECIAL: कभी तांत्रिक के श्राप से वीरान हुए भानगढ़ किले पर अब कोरोना का साया

भानगढ़ का किला भुतहा किले के रूप में मशहूर है. एक समय था जब भानगढ़ नगर एक तांत्रिक के श्राप के कारण बर्बाद हो गया था, लेकिन अब कोरोना के श्राप ने इस किले पर ग्रहण लगा दिया है जिसके बाद ये किला एक बार फिर से वीरान हो गया है. पढ़िए ये विशेष स्टोरी...

Bhangarh Fort, राजस्थान न्यूज
कोरोना के कारण वीरान पड़ा भानगढ़ फोर्ट

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Published : Aug 24, 2020, 3:56 PM IST

भानगढ़ (दौसा). राजस्थान में अलवर और दौसा दोनों जिलों की सीमाओं से लगता भानगढ़ का किला दुनिया की सबसे डरावनी जगहों में से एक है. सरकारी आदेशों के अनुसार यहां शाम 6 बजे के बाद किसी को रूकने नहीं दिया जाता है. कभी तांत्रिक की श्राप से वीरान हुआ किला अब एक बार फिर से कोरोना के कारण वीरान हो गया है.

कोरोना के कारण वीरान पड़ा भानगढ़ फोर्ट

दौसा और अलवर जिले की सीमा पर बना भानगढ़ का किला भूतहा किले के रूप में जाना जाता है. भानगढ़ के किले में सूर्य ढलने के बाद कोई प्रवेश नहीं कर सकता है. इसको को लेकर कई तरह की डरावनी कहानियां जुड़ी हुई हैं. उन्हीं में से एक कहानी है भानगढ़ के तांत्रिक सिंधिया की. कहते हैं इसी तांत्रिक के श्राप से भानगढ़ की बसी बसाई रियासत रातों-रात बर्बाद और उजाड़ हो गई थी.

'भूतों के भानगढ़' नाम से प्रसिद्ध

तांत्रिक के श्राप से नगर हुआ बर्बाद

भानगढ़ एक प्राचीन नगर थी, लेकिन एक तांत्रिक की बुरी नीयत नगर के विनाश का कारण बनी. कहते हैं कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्‍नावती बहुत सुन्‍दर थी. जि‍सके स्‍वयंवर की तैयारी चल रही थी. उसी राज्‍य में एक तांत्रिक सिंधिया नाम का था, जो राजकुमारी को पाना चाहता था. इसलि‍ए तांत्रिक सिंधिया ने राजकुमारी की दासी जो उनके श्रृंगार के लि‍ए तेल लाने बाजार आई थी, उस तेल को जादू से सम्‍मोहि‍त करने वाला बना दि‍या.

किले के साथ बना मंदिर आज भी सुरक्षित

राजकुमारी रत्‍नावती के हाथ से वह तेल एक चट्टान पर गि‍रा. वह चट्टान तांत्रिक सिंधिया की तरफ लुढ़कती हुई आने लगी. जिसके बाद चट्टान के नीचे तांत्रिक दबकर मर गया, लेकिन तांत्रिक ने मरते समय उस नगरी और राजकुमारी को नाश होने का श्राप दे दि‍या, जि‍ससे यह नगर रातों-रात बर्बाद हो गया.

पहले हजारों सैलानी भानगढ़ फोर्ट आते थे

राजा भगवंत ने बनवाया था भानगढ़ किला

इतिहास के अनुसार भानगढ़ किले का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने सन 1573 में अपने छोटे बेटे माधो सिंह के लिए करवाया था. जिसके बाद तीन पीढ़ियों ने यहां पर राज किया. भानगढ़ दौसा और अलवर जिले की सीमा पर स्थित एक शानदार किला था, जो कि अपनी खूबसूरती और सुव्यवस्थित बनावट के लिए विख्यात था. कहा तो ये भी जाता है कि यहां की इमारतें 7 मंजिल हुआ करती थी. लेकिन जब यह उजड़ने पर आया तो इन इमारतों की ऊंचाई एक से डेढ़ मंजिल की ही रह गई. इसकी तबाही ने इसे 'भूतों का भानगढ़' नाम दे दिया.

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आज भी सुरक्षित हैं मंदिर

तांत्रिक श्राप से पूरा नगर तो बर्बाद हो गया, लेकिन एक चमत्कार यह भी हुआ कि किले के साथ ही बनवाए गए मंदिर भानगढ़ में आज भी पूरी तरह सुरक्षित हैं. लोग दिन के समय मंदिर में दर्शन करके आते हैं. हालांकि अंधेरा होने के बाद कोई भी अंदर नहीं जाता. समय गुजरने के साथ साथ भानगढ़ को लेकर नई-नई कहानियां सामने आने लगी और भानगढ़ दुनिया का सबसे डरावनी जगहों में शामिल हो गया. अभी भानगढ़ भारत सरकार के पुरात्तव विभाग के अधीन है. इस डरावने भानगढ़ को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लोग भी देखने आते हैं.

अब किले पर मंडरा रहा कोरोना का खौफ

कोरोना माहमारी से बचाव के लिए सरकार ने सभी पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया था. भानगढ़ भी इन्हीं में से एक था. हालांकि अब अनलॉक होने के बाद भी कोरोना के डर से लोग यहां आने से कतरा रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि पहले जब वह इस किले में देखने के लिए घूमने के लिए आया करते थे तो हजारों की तादाद में लोग उन्हें यहां दिखाई देते थे. कोरोना महामारी के चलते अब यह किला सुनसान हो गया है. यहां न के बराबर लोग आते हैं. कभी हजारों पर्यटकों से गुलजार रहने वाला किला फिर से वीरान हो गया है.

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