अलवर. जिले के केंद्रीय कारागार में करीब 900 बंदी हैं. इसमें सजायाफ्ता 30 महिला बंदी भी हैं. जिन का मामला अभी न्यायालय में चल रहा है. महिला बंदी दिन भर आपस में लड़ाई करती थी. घरेलू व निजी बातों को लेकर विवादों होता था. ऐसे में जेल प्रशासन को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
इन्हीं स्थितियों को देखते हुए जेल प्रशासन की तरफ से महिला बंदियों को व्यस्त रखने के लिए सुबह शाम संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, लेकिन उसके बाद भी दिनभर महिलाएं बंदी फ्री रहती थी. जेल प्रशासन की तरफ से विशेष पहल करते हुए अलवर के एक राखी उद्योग की मदद से महिला बंदियों से राखी बनवाई जा रही हैं. अभी इस काम में करीब 25 महिला बंदी काम कर रही हैं.
अलवर: केंद्रीय कारागार में महिला बंदियों द्वारा बनाई गई राखियां देश और विदेशों में बिकेंगी जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया राखी उद्योग संचालक की तरफ से महिलाओं को राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. उद्योग संचालक जरूरत के हिसाब से महिला बंदियों को सामान उपलब्ध कराता है व राखी का एक सैम्पल दिया जाता है. इस कार्य में जेल प्रशासन की तरफ से एक महिला कांस्टेबल को भी लगाया गया है. महिला कांस्टेबल राखी उद्योग संचालक कर्मचारियों से संपर्क में रहती है.
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कर्मचारी पहले महिला कांस्टेबल को ट्रेनिंग देते हैं व उसके बाद महिला कांस्टेबल कारागार में आकर महिला बंदियों को ट्रेंड करती है. इस पूरे कामकाज में महिला बंदी दिनभर लगी रहती हैं. इसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं. महिलाओं में होने वाले विवाद अब कम हुए हैं व महिलाएं काम में व्यस्त रहने लगी है. जेल प्रशासन ने कहा इस काम के लिए महिला बंदियों को पैसे भी दिए जा रहे हैं. जब वो अलवर जेल से जाएंगी तो उनको व उनके परिजनों को उनके द्वारा काम करके कमाए गए पैसे दे दिए जाएंगे, जिससे उनको जीवन यापन में मदद मिल सके.