अलवर. प्रदेश में कोरोना वायरस का प्रभाव बढ़ रहा है. प्रशासन व सरकार की तरफ से गरीब जरूरतमंद को भोजन उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक जरूरतमंदों को राशन किट पर भोजन नहीं मिल रहा है. ऐसे में अलवर में ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक की. शहर के कबीर कॉलोनी रहने वाले मजदूरों का कहना है कि उन्हें कुछ खाने को नहीं मिल रहा है.
जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा राशन जिले में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीजों की संख्या 8 हो चुकी है. वहीं लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. ऐसे में हजारों-लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन गरीब लोगों पर ज्यादा मार पड़ी है, जो प्रतिदिन कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं. प्रशासन और सरकार की तरफ से मजदूर, ठेला चलाने वाले, रेहड़ी पर दुकान लगाने वाले, रिक्शा चालक और अन्य ऐसे लोग जिनका काम बंद हो गया है. प्रशासन इन जरूरतमंदों को राशन किट व भोजन उपलब्ध कराने के दावा कर रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने शहर के बीचों-बीच बसी कबीर कॉलोनी के हालात जाने. इस कॉलोनी में सभी तरह के लोग रहते हैं. एक हिस्सा ऐसा है, जिसमें कच्चे घर है. वहां मजदूरी करने वाले, रिक्शा चलाने वाले, घरों में काम कर पेट भरने वाले और दिहाड़ी मजदूर सहित अन्य छोटे-मोटे रोजगार करके अपना जीवनयापन करने वाले लोग रहते हैं. लॉकडाउन के चलते इन सभी लोगों का काम बंद हो गया है.
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ऐसे में घर की महिलाओं और बच्चों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं घर में खाने के लिए राशन नहीं है. दूसरी तरफ महिला पुरुष कमाने के लिए बाहर नहीं जा सकते है. ऐसे में मजबूरी में घर की महिला और बच्चे आसपास क्षेत्र में घूम कर राशन के पैकेट में सामान मांगते हैं और गुजारा करते हैं. वहीं ईटीवी से बात करते हुए इन बस्तियों में रहने वाली महिलाओं ने अपना दर्द बताया. महिलाओं का कहना है कि घर में राशन नहीं हैं और बच्चे भूखे हैं. प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. प्रतिदिन बस्ती की महिलाएं आसपास क्षेत्र में घूमती हैं. इस बीच कोई खाना बांटने वाला आता है तो उससे खाना व राशन लेती हैं.
इन महिलाओं का कहना है कि सरकारी राशन की दुकानों पर मिलने वाला राशन भी नहीं मिल रहा है. दुकानदार ने कहा कि राशन नहीं है. लोगों का आरोप है कि उसने राशन बेच दिया है. यह हालात अलवर शहर के बीचोबीच आबादी क्षेत्र में बसी एक बस्ती के हैं. इस तरह के हालात पूरे शहर में जिले के हैं, लेकिन प्रशासन अपनी आंख बंद करके बैठा हुआ है. कुछ लोगों को दिन में तीन से चार बार भोजन में राशन मिल रहा है. वहीं कुछ जरूरतमंद लोगों को एक वक्त का भी खाना नहीं मिल रहा है.
पार्षद ने अपने पहचान वाले लोगों को दिया राशन
बस्ती की महिलाओं का आरोप है कि पार्षद और अन्य सामाजिक लोगों ने अपनी पहचान वालों को राशन दिया है. जबकि आम लोग परेशान हो रहे हैं. इस बस्ती के आसपास से गुजरने वाली सड़क मार्गों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन इन लोगों के पास आज तक कोई नहीं आया है.