अलवर.रबी की फसल के सीजन के दौरान जिस तरह से प्रदेश में खाद की कालाबाजारी और किल्लत का सामना किसानों का करना पड़ा था. इसको देखते हुए ईटीवी भारत ने खरीफ की फसल के सीजन में इस तरह की दिक्कतों परेशानियों से किसानों को दो-चार ना होना पड़े. इसके लिए ईटीवी भारत ने अलवर में खाद बीज की स्थिति पर अपनी नजर डाली.
अधिकारियों का दावा है जिले में पर्याप्त बीज मौजूद
अलवर में किसान सरकारी केंद्र से बीज खरीद सकते हैं. जिले में दो सरकारी केंद्र हैं. अलवर शहर के अलावा बानसूर में भी बीज का सरकारी केंद्र खुला हुआ है. इसके अलावा जिले में करीब 1200 निजी बीज की दुकान है. कृषि विभाग की तरफ से इन दुकानों को लाइसेंस दिया गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में पर्याप्त बीज मौजूद है. ऐसे में किसानों को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी.
अलवर में 60 प्रतिशत आबादी अब भी खेती पर निर्भर
गौर हो कि अलवर जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से खासा बड़ा है तो वहीं अलवर में सरसों, गेहूं, चना व बाजरा की फसल अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा होती है. उसका प्रमुख कारण अलवर की चिकनी मिट्टी और बेहतर जलवायु है. इसलिए अलवर में 60 प्रतिशत आबादी अब भी खेती पर निर्भर है. इसके बाद भी आए दिन किसानों की समस्या सामने आती है. फसल बुवाई के समय किसानों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है. बीज के लिए लंबी कतारें लगती हैं व निजी दुकानों पर महंगे दामों में बीज मिलता है.
सरकारी बीज केंद्र पर सदस्य बनकर खरीद सकते हैं किसान बीज अलवर जिले में दो बीज वितरण केंद्र
अलवर जिले में दो बीज वितरण केंद्र हैं. इसमें एक सेंटर आरएसएससी है जो अलवर शहर के नया बास सर्किल पर है तो दूसरा एनएससी है. वहीं एक केंद्र बानसूर में भी उपलब्ध है. ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो गांव में बीज के सरकारी केंद्र नहीं है. ऐसे में ग्रामीणों को बीज के लिए खासी परेशानी उठानी पड़ती है. ग्रामीण कई बार ग्रामीण क्षेत्र में बीज के केंद्र खोलने की मांग कर चुके हैं. लेकिन कृषि विभाग का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में किसान खासा परेशान हो रहा है. मजबूरी में किसानों को निजी केंद्रों से बीज खरीदने पड़ते हैं. जिसके चलते निजी केंद्र संचालक मनमानी करते हैं और महंगे दामों पर बीज बेचते हैं.
1200 दुकानदारों को कृषि विभाग की तरफ से बीज वितरण के लाइसेंस
इसके अलावा 1200 दुकानदारों को कृषि विभाग की तरफ से बीज वितरण के लाइसेंस दिए हुए हैं. जो जिले के विभिन्न हिस्से में संचालित हैं. कृषि विभाग के अधिकारी की मानें तो सरकारी केंद्र पर एक सामान्य सदस्यता शुल्क जमा करके किसान उस केंद्र का सदस्य बन सकता है. उसके बाद जरूरत के हिसाब से बीज खरीद सकता है. बीज के दामों की बात करें तो सरकारी केंद्रों पर 50 से 80 रुपए तक हैं. इसी तरह से निजी केन्दों की बात करे तो उनपर 150 से 200 किलो तक के बीच बेचे जा रहे हैं.
ज्यादातर फसल हो चुकी, बारिश का इंतजार
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया इस समय ज्यादातर फसल हो चुकी है. किसानों को बारिश का इंतजार है. बारिश के बाद बची हुई बाजरें की फसल की बुवाई होगी. इस बार देरी से मानसून आ रहा है. जिसका नुकसान किसान के साथ आम लोगों को भी उठाना पड़ेगा. अलवर के रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, थानागाजी, बहरोड़, राजगढ़, मालाखेड़ा, मुंडावर, अलवर ग्रामीण सहित जिले भर में अच्छी पैदावार होती है. कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो ज्यादातर हिस्सों में फसल की बेहतर पैदावार होती है. अलवर में सितंबर से सरसों की बुवाई होती है. तो वहीं अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर माह में गेहूं बोया जाता है. गेहूं के लिए रात का तापमान 4 से 5 डिग्री होना आवश्यक है. उससे तापमान अधिक होने पर गेहूं की फसल खराब हो जाती है.
जरूरत पड़ने पर किसान खाता हैं धक्का
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया इस समय बाजरा खेतों में लगा हुआ है. किसानों को बारिश का इंतजार है. अगर बारिश जल्दी ही नहीं हुई, तो बाजरा गर्मी से खराब हो जाएगा. इससे किसानों को खासी परेशानी उठानी पड़ेगी तो ही इसका नुकसान आम लोगों को भी उठाना होगा. बीजों की चोरी रोकने के लिए कृषि विभाग के पास कोई इंतजाम नहीं है. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जिले में पर्याप्त बीज उपलब्ध है. लेकिन, जरूरत के समय किसान बीज के लिए परेशान होता है वह उसे धक्के खाने पड़ते हैं.