अलवर. शहर में लगातार कोरोना वायरस का प्रभाव बढ़ रहा है. आए दिन नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. लेकिन समय के साथ कोरोना में कई तरह के बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं. जहां शुरुआती दौर में खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे थे. वहीं कुछ समय बाद ऐसे लोग भी पॉजिटिव मिलने लगे हैं, जिनमें कोई सिमटम नहीं था. लेकिन अब अलवर में लक्षण नहीं होने और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी लोगों के फेफड़ों में संक्रमण मिल रहा है. कोरोना में हो रहे इस बदलाव ने सब की परेशानी बढ़ा दी है.
यह संक्रमण कई मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो रहा है. ऐसे मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होना इसका बड़ा कारण बन रहा है. मरीज में लक्षण तो नहीं आते, लेकिन धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ता है. संक्रमित व्यक्ति में कई दिनों बाद वापस बीमारी की शिकायत होती है. इस दौरान सिटी स्कैन कराने पर पता चलता है कि फेफड़ों में संक्रमण है. जिसके कारण मरीज में थकान और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. अलवर के अस्पतालों में इस तरह के मरीज बड़ी संख्या में मिल रहे हैं.
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चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेशन कम मिल रहा है. ऐसे में दिक्कत बढ़ रही है. मरीजों को ऑक्सीमीटर पर लेने के बाद ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाना पड़ता है. इस दौरान मरीज के फेफड़ों में कोई नुकसान तो नहीं इसका पता भी लगाना पड़ता है. यदि नुकसान थोड़ा बहुत मिलता है. तो फिर उसी समय इलाज शुरू करने से मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं.
यदि संक्रमण अधिक बढ़ता रहा और फेफड़ों पर सूजन आती है. तो मुश्किले बढ़ जाती है. फिर मरीज की रिकवरी होने में बहुत समय लग जाता है. अधिक उम्र वाले मरीज और अन्य तरह की बीमारी से ग्रसित लोगों को या संक्रमण और भी ज्यादा परेशान करता है.
डॉक्टरों ने कहा कि मरीजों में कोरोना का प्रभाव कम होता है, तो लक्षण सामने नहीं आ पाते हैं. फेफड़ों में कोशिकाएं धीमी होती है और सूजन आ जाती है. धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को नुकसान करने लगता है. फिर लक्षण वाले कोरोना संक्रमित व्यक्ति चाहे नेगेटिव हो, लेकिन सिटी स्कैन में असली जानकारी मिल पाती है.