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ताक पर नियम: प्रदेश में बिना अनुमति के चल रही हैं आरा मशीन, नहीं बनी समिति... बेरोक टोक धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं पेड़ - mukundara tiger reserve

नियमों को ताक पर रखकर प्रदेश भर में पेड़ों को काटा जा रहा है. इनकी कटाई और आरा मशीन को लेकर भी नियम हैं, लेकिन न इसकी किसी को जानकारी है न ही कोई फिक्रमंद है. हैरानी की बात है कि आरा मशीन को अनुमति देने वाली समिति का गठन नहीं हुआ है. जिससे बेधड़क पेड़ों की जड़ों पर प्रहार हो रहा है. अलवर में ही तकरीबन 150 आरा मशीनों का संचालन हो रहा है. जिसमें नियमों को लेकर स्पष्टता की कमी है.

saw mills in alwar
आरा मशीनों से पेड़ों की कटाई

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Published : Aug 24, 2021, 12:00 PM IST

अलवर:प्रदेश में जिस तरह से खनन कार्य के लिए नियम निर्धारित हैं. उसी तरह से लकड़ी कटाई और आरा मशीन के लिए भी नियम बने हुए हैं. लेकिन इस समय प्रदेश में आरा मशीन बिना अनुमति के चल रही है. आरा मशीन को अनुमति देने वाली समिति का गठन अब तक प्रदेश में नहीं हुआ है. खुलेआम लकड़ी की कटाई अवैध रूप से हो रही है.अलवर में ही तकरीबन 150 आरा मशीनों का संचालन हो रहा है.

ताक पर नियम

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राजे रजवाड़ों की भूमि है मरूभूमि राजस्थान. दूर दराज से, देश विदेश से लोग यहां के रेगिस्तान, हवेली, किले, महल और जंगल देखने आते हैं. प्रदेश में सरिस्का, रणथंभौर और मुकुंदरा जैसे टाइगर रिजर्व भी हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में वन क्षेत्र और जंगल क्षेत्र है. प्रकृति के प्रति आसक्ति की कथाएं अकसर राजस्थान से निकलकर सामने आती हैं. अफसोसनाक है कि इन दिनों इसी प्रदेश में पेड़ व लकड़ी कटाई का काम खुलेआम धड़ल्ले से चल रहा है.

जिम्मेदार देते हैं नियमों की दुहाई:आरा मशीन को लेकर जब वन विभाग से सवाल किया जाता है तो अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई का दावा करते हैं. साल में एक बार प्रत्येक आरा मशीन का निरीक्षण करने को बड़ी उपलब्धि मानते हैं. कोई शिकायत मिलती है तो अफसर उसे दूर करने के निर्देश देते हैं. चूंकि अभी पूरे प्रदेश में आरा मशीन के संचालन की अनुमति देने वाली समिति का गठन नहीं हुआ है इसलिए फिलहाल नजर रखना आसान काम नहीं.

समिति नहीं तो मशीन संचालन की अनुमति आसान:इन मशीनों को हासिल करने की प्रक्रिया बड़ी आसान है. कोई भी एक निर्धारित फीस जमा कर अनुमति प्राप्त कर सकता है. अधिकारी बताते हैं- आवेदन करने के बाद आवेदन कर्ता को एक सरकारी फीस जमा करनी होती है. उसके बाद वो आरा मशीन का संचालन कर सकता है. स्पष्ट है कि इस पर निगरानी को लेकर कोई निश्चित प्लान नहीं है.

मॉनिटरिंग नहीं तो नियमों की उड़ रहीं धज्जियां: बेहतर मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रदेशभर में आरा मशीन पर धड़ल्ले से लकड़ी काटने का काम चल रहा है. ऐसे में पर्यावरण विभाग के नियमों की धज्जियां भी उड़ रही है. क्योंकि आरा मशीन संचालन के लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक है. इको सेंसेटिव जोन से बाहरी हिस्से में आरा मशीन लगाई जा सकती है और अलवर में ही सरिस्का है.

हालांकि सरिस्का में इको सेंसेटिव जोन निर्धारित नहीं है, लेकिन उसके बाद भी वन विभाग इको सेंसेटिव जोन की गाइडलाइन 10 किलोमीटर के अनुसार काम कर रहा है. ऐसे में जरूरी है कि पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इस ओर प्रदेश सरकार ध्यान दे.

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